वित्तवर्ष 2018-19 और 2019-20 के बीच देश में लगभग 4.75 करोड़ अतिरिक्त व्यक्ति कार्यबल में शामिल हुए, जो 2017-18 और 2018-19 के बीच सृजित रोजगार से लगभग तीन गुना अधिक है। आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 सोमवार को जारी किया गया।
शहरी क्षेत्र की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र ने इस विस्तार में क्रमश: 3.45 करोड़ और 1.30 करोड़ का अधिक योगदान दिया। इसके अलावा, अतिरिक्त कामगारों में 2.99 करोड़ महिलाएं (63 प्रतिशत) थीं।
2019-20 में शामिल हुए अतिरिक्त श्रमिकों में से लगभग 65 प्रतिशत स्व-नियोजित थे। स्वरोजगार के रूप में शामिल होने वाली लगभग 75 प्रतिशत महिला श्रमिक अवैतनिक पारिवारिक श्रमिक थीं।
अतिरिक्त श्रमिकों में से लगभग 18 प्रतिशत नैमित्तिक मजदूर थे, जबकि 17 प्रतिशत नियमित वेतनभोगी कर्मचारी थे।
इसके अलावा, 2019-20 में बेरोजगार व्यक्तियों की संख्या में भी 23 लाख की कमी आई, जिसमें बड़े पैमाने पर ग्रामीण क्षेत्र के पुरुष शामिल थे।
वित्तवर्ष 2019-20 में कार्यबल में शामिल होने वाले अतिरिक्त व्यक्तियों में से लगभग 90 प्रतिशत रोजगार की अनौपचारिक प्रकृति के थे और 98 प्रतिशत से अधिक असंगठित क्षेत्र में थे। लगभग 91 प्रतिशत अतिरिक्त कर्मचारी असंगठित/अनौपचारिक क्षेत्र में थे।
इस बीच, मनरेगा रोजगार 2020 में देशव्यापी तालाबंदी के दौरान चरम पर था। दूसरी कोविड लहर के बाद मनरेगा के काम की मांग स्थिर हो गई और कुल मनरेगा रोजगार अभी भी पूर्व-महामारी के स्तर से अधिक है।
राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के दौरान, मनरेगा के काम की कुल मांग जून 2020 में चरम पर थी, और उसके बाद स्थिर हो गई है। दूसरी कोविड लहर के दौरान, मनरेगा रोजगार की मांग जून 2021 में अधिकतम 4.59 करोड़ व्यक्ति स्तर पर पहुंच गई।
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Source : IANS