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हींग (Asafoetida) की खेती से कर सकते हैं मोटी कमाई, बीमारियों के इलाज में भी होता है उपयोग

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी ने देश में हींग (Asafoetida) की पैदावार बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग (Agriculture Department) के साथ रणनीतिक साझेदारी की थी.

हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी ने देश में हींग (Asafoetida) की पैदावार बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग (Agriculture Department) के साथ रणनीतिक साझेदारी की थी.

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Dhirendra Kumar
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हींग (Asafoetida)

हींग (Asafoetida)( Photo Credit : NewsNation)

भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की अधिकतर आबादी कृषि पर निर्भर है. इसके बावजूद कुछ फसल की खेती देश में अभी तक नहीं होती थी. मौजूदा समय में इन उत्पादों का इस्तेमाल भारतीय किचन में भी खूब किया जा रहा है. दरअसल, हम हींग (Asafoetida) की बात कर रहे हैं. बता दें कि भारत में पहले हींग की खेती नहीं की जाती थी, लेकिन 2020 से हिमाचल प्रदेश में हींग की खेती को शुरू कर दिया गया है. शानदार कमाई के लिए हींग की खेती का आजमाया जा सकता है और इसके जरिए लाखों रुपये की कमाई भी की जा सकती है. हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर-आईएचबीटी) ने देश में हींग (Asafoetida) की पैदावार बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के कृषि विभाग (Agriculture Department) के साथ रणनीतिक साझेदारी की थी. 

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हिमाचल के लाहौल घाटी में किसानों ने हींग की खेती शुरू कर दी है. सीएसआईआर-आईएचबीटी ने नेशनल ब्यूरो ऑफ प्लांट जेनेटिक रिसोर्सेज (एनबीपीजीआर), नई दिल्ली की मदद से हींग से संबंधित छह पादप सामग्री पेश की हैं, और उसके उत्पादन की पद्धति को भारतीय दशाओं के अनुसार मानक रूप प्रदान करने का प्रयास किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हींग को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि भारत को अब हींग के लिए दूसरे देशों के ऊपर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. 

इन देशों में पैदा होती है हींग
बता दें कि अफगानिस्‍तान, ईरान और मध्‍य एशिया के कुछ देशों में हींग की पैदावार होती है. वहीं जहां तक उत्पादन का सवाल है तो यह दक्षिणी ईरान में बड़े पैमाने पर किया जाता है. दक्षिणी ईरान के शहर लार के करीब हींग की पैदावार सबसे अधिक मात्रा में होती है और इसे ईरान में फूड ऑफ गॉड्स भी कहते हैं. गौरतलब है कि हींग का इस्तेमाल कुछ देशों में बतौर दवा भी इस्तेमाल में लाई जाती है. वहीं भारत में इसका इस्तेमाल मसाले के तौर पर किया जाता है. एक अनुमान के मुताबिक दुनिया की 40 फीसदी हींग की खपत अकेले भारत में होती है.  

विशेषज्ञों का कहना है कि हींग की खेती के लिए प्रति हेक्‍टेयर 3 लाख रुपये लागत आती है और पांचवे साल में खेती पर ज्यादा से ज्यादा 10 लाख रुपये तक फायदा मिलने की संभावना है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय में मार्केट में एक किलोग्राम हींग की कीमत 35 हजार रुपये से 40 हजार रुपये के आस-पास है. जानकारों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति हर महीने तकरीबन 5 किलोग्राम हींग की बिक्री कर लेता है तो वह हर महीने दो लाख रुपये की कमाई कर सकता है. इसके अलावा बड़ी कंपनियों के साथ समझौता भी कमाई का जरिया बन सकता है.

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बता दें कि हींग के इस्तेमाल से खाने का स्वाद तो बढ़ता ही है साथ ही यह सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है. जानकारी के मुताबिक हींग में एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण पाए जाते हैं. हींग का इस्तेमाल पुरुष ताकत बढ़ाने के लिए कर सकते हैं यह एक आयुर्वेदिक औषधि की तरह काम करती है. साथ ही हींग इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction) की समस्या को भी बगैर किसी साइड इफेक्ट के दूर करने में सहायक रहती है. इन समस्याओं से छुटाकारा पाने के लिए लोगों को रोजाना सुबह खाली पेट हींग के पानी का सेवन करना चाहिए.

HIGHLIGHTS

  • 2020 से हिमाचल प्रदेश में हींग की खेती को शुरू कर दिया गया है
  • हींग की खेती के लिए प्रति हेक्‍टेयर 3 लाख रुपये लागत आती है
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