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यूक्रेन पर रूस के हमले से आसमान पर पहुंचे गेहूं और मक्का के दाम

जानकारों का कहना है कि शॉर्ट टर्म में CBOT पर मक्के का भाव बढ़कर 735 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल पर पहुंच सकता है, जबकि मीडियम टर्म में भाव 800 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल को छू सकता है.

Updated on: 24 Feb 2022, 11:39 AM

highlights

  • शॉर्ट टर्म में CBOT पर मक्के का भाव बढ़कर 735 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल पर पहुंच सकता है
  • शॉर्ट टर्म में CBOT पर गेहूं 950-960 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल की ऊंचाई तक जा सकता है

नई दिल्ली:

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच अब युद्ध की लगभग शुरुआत हो गई है. रूस ने यूक्रेन के 11 शहरों में हमला कर दिया है. यूक्रेन की राजधानी कीव समेत पूर्वी हिस्से में मौजूद शहरों को निशाना बनाया गया है. जानकारी के मुताबिक यूक्रेन के चार शहरों में मिसाइल से हमला किया गया है. यूक्रेन पर हमले के बाद CBOT पर गेहूं की कीमतों में जहां 5.5 फीसदी से ज्यादा की तेजी देखने को मिल रही है. वहीं दूसरी ओर मक्के की कीमतों में भी 4 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया है. बता दें कि 23 फरवरी को CBOT पर मक्के का भाव 8 महीने की ऊंचाई 685 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल पर पहुंच गया था. वहीं गेहूं भी करीब 12 फीसदी बढ़कर साढ़े 9 साल की ऊंचाई 888.6 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल पर पहुंच गया था.

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शॉर्ट टर्म में 735 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल तक जा सकता है मक्के का दाम 
जानकारों का कहना है कि शॉर्ट टर्म में CBOT पर मक्के का भाव बढ़कर 735 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल पर पहुंच सकता है, जबकि मीडियम टर्म में भाव 800 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल को छू सकता है. जहां गेहूं की बात है तो शॉर्ट टर्म में CBOT पर भाव 950-960 अमेरिकी सेंट प्रति बुशेल की ऊंचाई तक जा सकता है. ओरिगो ई मंडी के वाइस प्रेसिडेंट के वी सिंह का कहना है कि मक्के और गेहूं की कीमतों में आए उछाल से मौजूदा दुनियाभर में चल रही महंगाई में और बढ़ोतरी होगी. बता दें कि जनवरी 2022 में ग्लोबल फूड इन्फ्लेशन सालाना आधार पर 19.5 फीसदी यानी 135.7 प्वाइंट की ऊंचाई पर पहुंच गया है. 

वैश्विक मक्का और गेहूं व्यापार में प्रमुख हिस्सेदार हैं रूस-यूक्रेन
बता दें कि यूक्रेन ने मौजूदा स्थितियों को देखते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी, कनाडा, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से रूस पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह किया है. गौरतलब है कि रूस और यूक्रेन की वैश्विक मक्का व्यापार में तकरीबन 19 फीसदी और वैश्विक गेहूं व्यापार में 29 फीसदी की हिस्सेदारी है. ऐसे में यूक्रेन पर हमले के बाद काला सागर क्षेत्र से कारोबारी गतिविधियों पर गंभीर असर पड़ सकता है.

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के वी सिंह कहते हैं कि यूक्रेन को यूरोप का ब्रेडबैकेट कहा जाता है और ऐसे में यूक्रेन पर रूस के हमले से पूरी दुनिया में खाद्य आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है. उन्होंने कहा कि संकट का असर न केवल यूरोपीय संघ पर पड़ेगा बल्कि मध्य पूर्व और अफ्रीका के कई देशों पर भी पड़ेगा. उनका कहना है कि तनाव बढ़ने पर इस बात की संभावना ज्यादा है कि वैश्विक गेहूं और मक्का व्यापार प्रवाह रूस और यूक्रेन से हटकर दुनिया के अन्य प्रमुख निर्यातकों की ओर रुख कर जाए.