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एयर इंडिया खरीदने के लिए टाटा संस ने लगाई बोली, बना सबसे बड़ा दावेदार

केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है. सरकार ने कहा है कि एयर इंडिया में विनिवेश करने के लिए कई समूहों ने वित्तीय बोली लगाई है. इस एयरलाइन को खरीदने वालों की रेस में टाटा संस समेत कई कंपनियां शामिल हैं.

Updated on: 15 Sep 2021, 09:26 PM

highlights

  • टाटा समूह ने अंतिम समय में लगाई वित्तीय बोली
  • स्पाइसजेट समेत कई अन्य समूहों ने लगाई बोली
  • 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का किया था अधिग्रहण 

 

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने एयर इंडिया के विनिवेश की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ा लिया है. सरकार ने कहा है कि एयर इंडिया में विनिवेश करने के लिए कई समूहों ने वित्तीय बोली लगाई है. इस एयरलाइन को खरीदने वालों की रेस में टाटा संस समेत कई कंपनियां शामिल हैं. फिलहाल टाटा संस को सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है. टाटा ग्रुप की इस कंपनी ने एयर इंडिया को खरीदने के लिए दिलचस्पी दिखाई है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो इस साल के अंत तक टाटा समूह के कब्जे में तीसरी बड़ी एयरलाइन आ जाएगी. वर्तमान में टाटा समूह की एयर एशिया और विस्तारा में भी हिस्सेदारी है.

सूत्रों के अनुसार, सरकार भी टाटा ग्रुप को ही एयर इंडिया की जिम्‍मेदारी सौंप सकती है. वैसे स्‍पाइसजेट की ओर से भी बोली लगाई है. आपको बता दें कि पहले किसी समय में इस कंपनी का नाम टाटा एयरलाइंस था. वर्तमान में एयर इंडिया के विमान हर महीने 4400 घरेलू उड़ान भरते हैं. वहीं 1800 अंतरराष्ट्रीय फ्लाइट आती- जाती हैं. आपको बता दें कि जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी. 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई.

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बिकेगी एयर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी
डिपार्टमेंट ऑफर इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सचिव तुहिन कांता पांडे ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि एयर इंडिया में विनिवेश के लिए सरकार को कई प्रस्ताव मिले हैं. अब आगे इन पर नियमानुसार विचार कर फैसला लिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक सरकार अपने हिस्से की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राइवेट सेक्टर को बेच देना चाहती है.

सरकार ने वर्ष 2020 में विनिवेश प्रक्रिया शुरू की थी
सरकार ने घाटे से जूझ रही एयर इंडिया को बेचने के लिए जनवरी 2020 में विनिवेश प्रक्रिया शुरू की थी. उसी दौरान देश में कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हो गया. जिसके चलते यह प्रक्रिया करीब 1 साल तक अधर में लटक गई. इस साल अप्रैल में सरकार ने इच्छुक कंपनियों से कहा कि वे एयर इंडिया को खरीदने के लिए वित्तीय बोली लगाएं. इसके लिए 15 सितंबर अंतिम तारीख तय की गई थी.

15 सितंबर को थी अंतिम तारीख
हाल ही में केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि वित्तीय बोली लगाने के लिए अंतिम तारीख आगे नहीं बढ़ाई जाएगी. जिसके बाद बुधवार शाम तक सरकार के पास कई कंपनियों की वित्तीय बोली आ गई. सरकार ने इससे पहले वर्ष 2018 में एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की पेशकश की थी लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाई. जिसके बाद सरकार ने इस साल कंपनी की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया.

43,000 करोड़ रुपये तक कर्ज
सूत्रों के मुताबिक एयर इंडिया पर कर्ज बढ़कर 43,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. एयर इंडिया ने ये सारा कर्ज भारत सरकार की गारंटी पर ले रखा है. जिसके चलते सरकार पर भार बढ़ता जा रहा है. विनिवेश के बाद एयर इंडिया को नए मालिक को ट्रांसफर करने से पहले भारत सरकार इस कर्ज का भुगतान करेगी. गौरतलब है कि विस्तारा एयरलाइन भी टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड और सिंगापुर एयरलाइंस लिमिटेड का एक ज्वाइंट वेंचर है. इसमें टाटा संस की 51 फीसदी हिस्सेदारी है. वहीं एयर एशिया में टाटा संस का हिस्सा 83.67% है.