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चीनी प्रोडक्शन में 22 फीसदी की गिरावट, गन्ना उत्पादन घटने का असर

भारत ने वर्ष 2018-19 में 330 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन किया था, लेकिन वर्ष 2019-20 में उत्पादन घटकर 260 लाख टन रहने का अनुमान है.

Updated on: 02 Apr 2020, 12:21 PM

दिल्ली:

भारत का चीनी उत्पादन (Sugar Production) मार्च अंत में लगभग 233 लाख टन रहा जो एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत घटकर कम है. गन्ना उत्पादन कम होने से चीन मिलों का काम प्रभावित हुआ है. चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन, भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने बुधवार को यह जानकारी दी. चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर से अगले वर्ष के सितंबर माह तक का होता है. भारत ने वर्ष 2018-19 में 330 लाख टन से अधिक चीनी का उत्पादन किया था, लेकिन वर्ष 2019-20 में उत्पादन घटकर 260 लाख टन रहने का अनुमान है.

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31 मार्च तक 232.74 लाख टन चीनी का उत्पादन

इस्मा ने एक बयान में कहा है कि 31 मार्च 2020 तक 232.74 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है जबकि 31 मार्च 2019 तक 296.82 लाख टन का उत्पादन हुआ था जो करीब 64.08 लाख टन की कमी को दर्शाता है. एसोसिएशन ने बताया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन (Nationwide Lockdown) के कारण ट्रकों की उपलब्धता कम होने की वजह से शुरू में चीनी की आवाजाही कुछ बाधित हुई थी लेकिन आपूर्ति श्रृंखला को सुचारू बनाने के लिए सरकार के हस्तक्षेप के बाद पिछले 4-5 दिनों में चीनी की लदान बढ़ी है. इस्मा ने आश्वासन दिया कि चीनी मिलों के पास पर्याप्त मात्रा में चीनी है और इसलिए, उपभोक्ताओं को इस आवश्यक खाद्य पदार्थ की उपलब्धता की कोई समस्या नहीं होगी.

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यूपी में उत्पादन बढ़कर 97.20 लाख टन

इस्मा के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पिछले वर्ष के 95.67 लाख टन से बढ़कर 97.20 लाख टन हो गया है. महाराष्ट्र में, 31 मार्च, 2020 तक चीनी का उत्पादन 58.70 लाख टन हुआ था, जो एक साल पहले की समान अवधि के 105.16 लाख टन के उत्पादन से भारी कमी को दर्शाता है. बयान में कहा गया है कि चीनी कंपनियों को इथेनॉल की सुचारू आपूर्ति में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. यह मुख्यत: पेट्रोल की कम उठाव के कारण है.

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ओएमसी (तेल विपणन कंपनियों) के कुछ डिपो भंडारण स्थान की कमी के कारण आगे आपूर्ति लेने में असमर्थ हैं. चूंकि इथेनॉल आपूर्ति के लिए चीनी कंपनियों और ओएमसी के बीच व्यक्तिगत अनुबंध किए गए हैं, जो देश भर में डिपो वार हैं. ओएमसी से अनुरोध किया गया है कि वे इथेनॉल की आपूर्ति किसी अन्य ऐसे डिपो में लें जहां उनके पास टैंक या भंडारण का स्थान हो. इसमें कहा गया है कि ओएमसी और चीनी कंपनियां जल्द ही किसी अन्य और नए डिपो पर इथेनॉल की आपूर्ति किये जाने को लेकर परस्पर सहमत होंगी.