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Edible Oil ( Photo Credit : IANS )
खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (Department of Food & Public Distribution) के सचिव सुधांशु पांडेय (Sudhanshu Pandey) ने कहा है कि दूसरे देशों की तुलना में भारत में कई कमोडिटीज की कीमतों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में खाने के तेल की कीमतों में बढ़ोतरी देखने को मिली है, जबकि भारत में खाने के तेल की कीमतों में 11 फीसदी की कमी आई है. उन्होंने कहा कि सभी तरह के आयातित खाने के तेल पर इंपोर्ट ड्यूटी को कम किया गया है. न्यूज नेशन के खाने के तेल की कीमतों के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि न्यूज नेशन की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि खाने के तेल में 4-5 रुपये कीमत कम हुई है. सरकार की तरफ से उठाए गए कदम की वजह से कीमतों में कमी आई है वरना ये कीमत 10 से 12 रुपये ज्यादा हो गई होती.
खाद्य तेल की बढ़ी कीमतों को लेकर केंद्र सरकार के द्वारा उठाए गए कदम के बावजूद कीमतें कम नहीं हो रही है इसको लेकर आज ही मंत्रालय की ओर से राज्यों को पत्र भेजा जाएगा. पत्र में पूछा जाएगा कि इंपोर्ट ड्यूटी घटने के बाद भी ग्राहकों को ज़्यादा कीमत क्यों चुकानी पड़ रही है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर हो रही कालाबाजारी पर राज्य सरकार कार्रवाई करें.
उन्होंने कहा कि सरसों के तेल का उत्पादन करीब 10 लाख मीट्रिक टन बढ़ा है. फरवरी तक सरसों के तेल की कीमतों में कमी आने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि प्याज की कीमतें कम हैं और प्याज की कीमतों में हमने असाधारण वृद्धि नहीं देखी है. राज्यों की भी यही राय है. उन्होंने कहा कि फिलहाल प्याज के निर्यात को प्रतिबंधित करने का कोई विचार नहीं है. हम राज्यों को 26 रुपये प्रति किलो के दाम पर प्याज दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से अन्य देशों की तुलना में कमोडिटी की कीमतों को ज्यादा तेजी के साथ कम किया जा सकता है.
HIGHLIGHTS
- सरसों के तेल का उत्पादन करीब 10 लाख मीट्रिक टन बढ़ा है
- फरवरी तक सरसों के तेल की कीमतों में कमी आने का अनुमान