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Pulses Import Latest News: दाल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार उठा सकती है ये बड़ा कदम

Pulses Import Latest News: केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए तुअर और मूंग आयात का भी कोटा तय कर दिया है. तय कोटे के अनुसार, आगामी वित्त वर्ष के दौरान चार लाख टन तुअर और 1.5 लाख टन मूंग का आयात किया जा सकता है.

Updated on: 22 Mar 2021, 02:29 PM

highlights

  • वित्त वर्ष 2021-22 में तुअर, मूंग और उड़द का 11.5 लाख टन तक तक हो सकता है आयात 
  • केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए तुअर और मूंग आयात का भी कोटा तय कर दिया है

नई दिल्ली:

Pulses Import Latest News: भारत आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में प्रमुख दलहन तुअर, मूंग और उड़द का 11.5 लाख टन तक आयात कर सकता है, जिससे आने वाले दिनों में दाल की कीमतें काबू में रह सकती हैं. केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए तुअर और मूंग आयात का भी कोटा तय कर दिया है. तय कोटे के अनुसार, आगामी वित्त वर्ष के दौरान चार लाख टन तुअर और 1.5 लाख टन मूंग का आयात किया जा सकता है. वहीं, मोजांबिक के साथ सरकार के स्तर पर हुए समझौते के तहत दो लाख टन तुअर का आयात होगा जिससे तुअर का कुल आयात छह लाख टन तक हो सकता है. वहीं, चार लाख टन उड़द आयात का कोटा सरकार इससे पहले ही जारी कर चुकी है. इस प्रकार, आगामी वित्त वर्ष के दौरान तुअर, मूंग और उड़द का कुल आयात 11.5 लाख टन तक हो सकता है. 

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दलहन इंपोर्ट से देश में बढ़ेगी दलहन की उपलब्धता: सुरेश अग्रवाल
ऑल इंडिया दाल मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहा कि दलहनों के आयात से देश में उपलब्धता बढ़ेगी तो निस्संदेह घरेलू बाजार में कीमतों पर नियंत्रण बना रहेगा, लेकिन उद्योग के साथ-साथ व्यापारियों को मिलने से उपभोक्ताओं को सस्ती दाल मिलने को लेकर अनिश्चितता बनी रहेगी। इसकी वजह पूछने पर उन्होंने कहा कि व्यापारी अपना मुनाफा देखते हुए स्टॉक होल्ड कर सकता है जिससे मिलों के पास दलहनों की उपलब्धता में कमी आ सकती है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा बीते सप्ताह जारी अधिसूचना में कहा गया कि चार लाख टन उड़द और 1.5 लाख टन मूंग आयात की अनुमति मिलर्स/रिफाइनर्स के साथ-साथ ट्रेडर्स को भी दी गई है. देश में दाल कारोबारियों का एक बड़ा संगठन इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन जीतू भेड़ा का कहना है कि व्यापारियों को अनुमति मिलने से सभी मिलों को आयातित दलहन उपलब्ध होना संभव हो पाएगा.

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उन्होंने बातचीत में कहा कि विदेशों से पर्याप्त आयात होने से आने वाले दिनों में देश में दाल के दाम पर लगाम लगी रहेगी और व्यापारी जब दलहन मंगाएंगे और जब व्यापारी के पास कच्ची दाल रहेगी तो जो मिलर्स आयात नहीं कर पाएंगे उनको भी माल मिलना संभव होगा. बता दें कि इस साल खरीफ सीजन में तुअर, उड़द और मूंग की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से उंचा होने के कारण भारत सरकार की नोडल खरीद एजेंसी नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नैफेड) द्वारा दलहनों की खरीद कम हुई. नैफेड के प्रबंध निदेशक संजीव कुमार चड्ढा ने आईएएनएस को बताया कि सरकार के बफर स्टॉक में 20 लाख टन दलहन होना चाहिए, लेकिन इस साल तकरीबन इसका आधा ही है. हालांकि दलहन बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर तय कोटे के अनुसार दलहनों का आयात हो जाता है तो फिर बफर स्टॉक कम होने से भी दाल की कीमतें काबू में ही रहेंगी.

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1.5 लाख टन उड़द के कोटे के तहत आयात की अंतिम समय सीमा भी 31 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल हुई
मुंबई के दलहन बाजार विशेषज्ञ अमित शुक्ला ने कहा सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 के तहत तय 1.5 लाख टन उड़द के कोटे के तहत आयात की अंतिम समय सीमा भी 31 मार्च से बढ़ाकर 30 अप्रैल कर दी है जिससे कोटे के तहत बचा हुआ उड़द का भी आयात होने की संभावना बनी हुई है. उन्होंने कहा कि देश में दाल का उत्पादन इस साल बढ़ने के अनुमान के बावजूद दाम उंचा होने से किसानों को अच्छा भाव मिला है और तमाम दलहनों का भाव एमएसपी से उपर ही रहा है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2020-21 में देश में दाल का उत्पादन 244.2 लाख टन हो सकता है जोकि पिछले फसल के 230.3 लाख टन से करीब छह फीसदी अधिक है.