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बिहार में पोल्ट्री व्यवसाय पर कोरोना का 'वायरस', चिकन मार्केट धड़ाम

व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना का चिकन से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन अफवाह के कारण यह व्यवसाय पूरी तरह ध्वस्त हो गया.

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Dhirendra Kumar
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पोल्ट्री व्यवसाय (Poultry Industry)( Photo Credit : फाइल फोटो)

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कोरोनावायरस (Coronavirus) का असर बिहार की पोल्ट्री व्यवसाय (Poultry Industry) पर भी पड़ा है. बिहार में पोल्ट्री व्यवसाय (Poultry Business) पूरी तरह ध्वस्त हो गया है. व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना का चिकेन से कोई लेना देना नहीं है, लेकिन अफवाह के कारण यह व्यवसाय पूरी तरह ध्वस्त हो गया. स्थिति यहां तक आ गई है कि खुदरा बाजार में 150 से 160 रुपए प्रति किलोग्राम बिकने वाला चिकेन फिलहाल 50 से 60 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है.

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एक अनुमान के मुताबिक, बिहार में ही हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. ऋण लेकर व्यवसाय कर रहे लोगों की हालत यह है कि आने वाले दिनों में उनके कर्ज लौटाने का भी भय सता रहा है. पश्चिमी चंपारण के हरनाटांड़ स्थित चम्पारण एग्रो फर्म के संचालक रविशंकर नाथ तिवारी बताते हैं कि ब्रीडिग फामिर्ंग में काफी बड़े पैमाने में चूजा तैयार किया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना के अफवाह ने सारा धंधा चौपट कर दिया है. तिवारी बताते हैं कि एक चूजा तैयार करने में करीब 24 रुपये का खर्च आता है, लेकिन इस बार मुर्गे की बिक्री नहीं होने से एक लाख से ज्यादा चूजे को जमीन में दफना दिया गया.

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एक ब्रायलर मुर्गे को तैयार करने में करीब 80 रुपये का खर्च

उन्होंने कहा कि एक ब्रायलर मुर्गे को तैयार करने में करीब 80 रुपये का खर्च आता है, लेकिन अफवाह की वजह से बिक्री बंद हो गई. व्यवसायियों ने इसे 10 रुपये से लेकर 30 रुपये तक बेचना शुरू किया. क्योंकि आगे फर्म में मुर्गा रखना पड़े तो दाना खिलाना पड़ेगा, और दाना खिलाने में भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. ऐसे में जैसे तैसे लोगों को जागरूक कर बिक्री की जा रही है. वैशाली जिले के हाजीपुर ओवल एग्रोटेक प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन रविंद्र सिंह का ब्रिडिंग फर्म है. ये यहां पर मुर्गियों के अंडों से चूजे तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि जनवरी महीने तक 35 से 36 रुपए में चूजे बिक रहे थे. फरवरी महीने के बाद चूजों की बिक्री ठप्प हो गई.

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मक्के के बाजार पर भी पड़ा असर

सिंह ने बताया कि पोल्ट्री व्यवसाय के ध्वस्त होने का इसका प्रभाव मक्का मार्केट पर भी काफी हद तक पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि मूर्गियों को खिलाने के लिए जो दाना बनाया जाता है उसमें 60 फीसदी मक्का होता है. 20 सोया डियोसी इसके अलावा चावल की ब्रान 10 फीसदी उपयोग में लाई जाती है. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिहार में लाखों लोग पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े हैं. मेरी कंपनी से मूर्गियों के खाने के लिए बनने वाले विभिन्न तरह के दानों का रोजाना करीब 15 हजार टन महीने में उत्पादन होता था. मार्च महीने में 1000 टन भी महीने में बिक्री नहीं हुई है.

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पटना के पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े नवल प्रसाद कहते हैं कि जनवरी महीने तक दो लाख चूजों का उत्पादन प्रतिमाह करते थे. उस दौरान चूजे 34 से 36 रुपए में बिकते थे. वर्तमान में कोई रेट नहीं है. न ही कोई खरीदार है. उन्होंने कहा कि आज स्थिति है कि चूजों को मारकर गड्ढा खोदकर दफन करवा दिया गया. कोई ग्राहक नहीं मिल रहा था. बाजार की स्थिति ध्वस्त हो गई है. बिहार के अरवल में पोल्ट्री व्यवसाय से जुडे लोग मुर्गा ऐसे ही मुफ्त में बांट दिए गए, क्योंकि उनके पास ग्राहक ही नहीं आ रहे थे.

मांग फिलहाल नहीं के बराबर

पोल्ट्री फार्म मालिकों द्वारा मुर्गो को और जिंदा रखने के लिए भी अब पैसे नहीं है. अरवल के खोखरी गांव में अवस्थित पोल्ट्री फार्म मालिक जितेंद्र सिंह का कहना है कि उनके पोल्ट्री फार्म अभी भी उनके फर्म में 10 हजार से ज्यादा मुर्गा थे. ग्राहकों के अभाव में मुर्गा यूं ही पड़ा हुआ था. वे इसे अब मुत में बांट रहे हैं. व्यवससाय से जुड़े लोगों का कहना है कि करोना के कारण लोगों में सोशल मीडिया के माध्यम से ऐसी अफवाह फैलाई गई कि मुर्गा या अंडा खाने पर करोना के वायरस से लोग ग्रस्त हो जाएंगे, जिसके कारण लोग मुर्गा और अंडा खाने से परहेज कर रहे हैं.

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इधर, वैशाली के सिविल सर्जन डॉ़ इंद्रदेव रंजन इसे सीधे अफवाह बताते हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से बचने के लिए चिकेन, अंडा और मछली खाना कहीं से वर्जित नहीं किया गया है, न ही ऐसा कोई सरकार की ओर से आदेश जारी हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके कोई प्रमाण भी अब तक नहीं मिले हैं. पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के चिकित्सक डॉ़ सुभाष झा भी कहते हैं कि कहीं भी इसके प्रमाण नहीं मिले हैं, कि चिकेन खाने से इस वायरस के फैलने का खतरा है. सोशल साइटों में दी रही सूचनाओं के बाद लोग चिकेन खाने को एवायड कर रहे हैं.

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