पंजाब में कपास की खेती बढ़ाने की योजना, कृषि विभाग ने तैयार किया खाका

कृषि विभाग अब कपास की खेती के रकबे को 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना बना रहा है. राज्य को प्रतिष्ठित बीज कंपनियों से 21.5 लाख पैकेट बीटी कॉटन के बीज प्राप्त हुए हैं.

कृषि विभाग अब कपास की खेती के रकबे को 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना बना रहा है. राज्य को प्रतिष्ठित बीज कंपनियों से 21.5 लाख पैकेट बीटी कॉटन के बीज प्राप्त हुए हैं.

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Dhirendra Kumar
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Cotton

कॉटन (Cotton)( Photo Credit : फाइल फोटो)

पंजाब का कृषि विभाग कपास (Kapas) की खेती का रकबा इस साल 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने के लिए पर्याप्त लागत और बीटी कॉटन के बीज मुहैया कराएगा. अतिरिक्त मुख्य सचिव डेवलपमेंट, विश्वजीत खन्ना ने कहा कि दक्षिण पश्चिमी जिलों में दूसरी सबसे बड़ी पारंपरिक खरीफ फसल कपास (Cotton) अत्यंत संवेदनशील नकदी फसल है, क्योंकि इसका रुझान समय समय पर बदलता रहता है. उन्होंने कहा कि कृषि विभाग ने फसल विविधीकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में धान के इलाकों को मक्का और कपास के इलाके में चरणबद्ध तरीके से बदलने की एक व्यापक रणनीति तैयार कर रहा है.

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कपास का रकबा बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना
वर्ष 2018 में 6.62 लाख एकड़ भूमि को कपास की खेती के अधीन लाया गया था और 2019 में 9.7 एकड़ जमीन को. खन्ना ने कहा कि कृषि विभाग अब कपास की खेती के रकबे को 9.7 लाख एकड़ से बढ़ाकर 12.5 लाख एकड़ करने की योजना बना रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य को प्रतिष्ठित बीज कंपनियों से 21.5 लाख पैकेट बीटी कॉटन के बीज प्राप्त हुए हैं. खन्ना ने कहा कि विभाग ने पिछले सीजन के बाकी बचे उत्पादों को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने के लिए भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के साथ समन्वय स्थापित किया है और इसके लिए कपास वाले इलाकों में 19 बाजारों को चालू कर दिया गया है.

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तेलंगाना में करीब 40 लाख एकड़ में धान की खेती का रिकॉर्ड
तेलंगाना में रबी सीजन (Rabi Season) के दौरान लगभग 40 लाख एकड़ भूमि पर धान की रिकॉर्ड खेती के साथ, राज्य को एक करोड़ टन से अधिक की उपज की उम्मीद है. राज्य को अस्तित्व में आए छह साल हो चुके हैं और यह अभी तक का सबसे अधिक उत्पादन है. किसानों से सीधे धान खरीदने के लिए गांवों में लगभग 7,000 केंद्र खोलते हुए तेलंगाना भारतीय खाद्य निगम (FCI) के गोदामों से चावल की आपूर्ति के साथ अन्य राज्यों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर रहा है.

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