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वन नेशन वन एमएसपी (One Nation One MSP) से सुधरेगी देशभर के किसानों की आर्थिक सेहत!

One Nation One MSP: CACP की सिफारिश पर केंद्र सरकार विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी का निर्धारण करती है और इसका एक ही मकसद है कि किसानों को उनकी फसलों का वाजिब व लाभकारी दाम मिले, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो.

Updated on: 30 Jan 2021, 08:40 AM

नई दिल्ली :

One Nation One MSP: केंद्र सरकार हर साल 23 कृषि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा करती है. मगर, एमएसपी का लाभ पूरे देश के किसान नहीं उठा पाते हैं. देश के उन्हीं राज्यों के किसानों को एमएसपी (MSP) का लाभ मिलता है, जहां व्यापक पैमाने पर सरकारी खरीद होती है, जबकि अन्य राज्यों के किसान अपनी फसल औने-पौने भाव पर बेचने को मजबूर होते हैं. ऐसे में सवाल है कि देशभर के किसानों की आर्थिक सेहत सुधारने के लिए क्या 'वन नेशन वन एमएसपी' फार्मूला पर अमल नहीं होना चाहिए? 

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CACP की सिफारिश पर केंद्र सरकार विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी का करती है निर्धारण 
कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिश पर केंद्र सरकार विभिन्न फसलों के लिए एमएसपी का निर्धारण करती है और इसका एक ही मकसद है कि किसानों को उनकी फसलों का वाजिब व लाभकारी दाम मिले, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो. खाद्यान्नों के लिए आयात पर निर्भर रहने वाला भारत हरित क्रांति के बाद आत्मनिर्भर ही नहीं हुआ बल्कि आज देश में अनाजों का उत्पादन आवश्यकता से अधिक हो रहा है. विडंबना है कि जिन किसानों की मेहनत से यह उपलब्धि हासिल हुई उनकी माली हालत आज भी अत्यंत दयनीय है.

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हालांकि हरित क्रांति का लाभ जिन क्षेत्रों को ज्यादा मिला और जहां एमएसपी पर भरपूर खरीद की बुनियादी संरचनाएं तैयार की गईं की गई उन क्षेत्रों के किसान समृद्ध हुए. इनमें पंजाब और हरियाणा अग्रणी राज्य हैं. मगर, बिहार और असम समेत कई अन्य राज्य हैं, जहां के अधिकांश किसान एमएसपी के लाभ से वंचित हैं. भारतीय खाद्य निगम की रिस्ट्रक्च रिंग को लेकर गठित शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, एमएसपी का लाभ देश के महज छह फीसदी किसानों को मिलता है. हालांकि जानकार बताते हैं कि एमएसपी पर खद्यान्नों के साथ-साथ तिलहनों और दलहनों की खरीद होने से इस आंकड़े में अब थोड़ा इजाफा हुआ है, अभी भी यह आंकड़ा काफी कम है.

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कृषि विशेषज्ञ देविंदर शर्मा कहते हैं कि, "वन नेशन वन एमएसपी से किसानों को असली आजादी मिलेगी. वह कहते हैं कि किसान चाहे ऊना में कोई फसल बेचे या बेंगलुरू में कहीं भी फसल एमएसपी से नीचे के भाव नहीं बिकना चाहिए, तभी एमएसपी की सार्थकता साबित होगी. देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर दो महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों की विभिन्न मांगों में एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनाने की मांग भी शामिल है. हालांकि बाजार के जानकार बताते हैं कि एमएसपी की गारंटी के लिए कानून बनने से सरकार के फसलों की ग्रेडिंग समेत कई अन्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. कृषि अर्थशास्त्री विजय सरदाना कहते हैं कि, "इस तरह के कानून बनने से कारोबारी देश के किसानों से फसल खरीदने के बजाय विदेशों से सस्ता अनाज आयात करने लगेंगे. फिर सरकार के लिए सारी फसलों की खरीद करना मुश्किल होगा.