logo-image

मोदी सरकार (Modi Government) ने प्याज आयात (Onion Import) के लिए नियमों में 30 नवंबर तक की ढील दी

सरकार ने प्याज की उपलब्धता और मूल्य में आई तेजी को रोकने के लिए इसे अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की और ईरान से निजी आयात को सुविधा देने का निर्णय किया है.

Updated on: 07 Nov 2019, 09:43 AM

दिल्ली:

प्याज की कीमत के 80 रुपये के आसमान पर पहुंचने के बाद इसकी कीमत पर अंकुश लगाने और इसकी घरेलू आपूर्ति में सुधार लाने के प्रयास के तहत बुधवार को कृषि मंत्रालय ने 30 नवंबर तक आयातित प्याज के धुम्र-उपचार करने के मानदंड में ढील दी है. सरकार ने प्याज की उपलब्धता और मूल्य में आई तेजी को रोकने के लिए इसे अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की और ईरान से निजी आयात को सुविधा देने का निर्णय किया है. इसके लिए इस फसल के धुम्र-उपचार करने के मानदंड में भी ढील दी गई है.

यह भी पढ़ें: ‘कृषि निर्यात को बढ़ाने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनिमय की समीक्षा की जरूरत’

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि बाजार में प्याज की उच्च कीमतों पर जनता की चिंता के मद्देनजर, कृषि मंत्रालय ने 30 नवंबर 2019 तक किये जाने वाली प्याज की आयातित खेप के ‘फाइटोसेनटरी’ (स्वच्छता) प्रमाण-पत्र पर पादप संगरोध (पीक्यू) आदेश, 2003 के अनुरूप धुम्र-उपचार का उल्लेख किये जाने की अनिवार्यता से छूट की अनुमति देने का फैसला किया है. इसमें कहा गया है कि जिन व्यापारियों ने बिना किसी धुम्र-उपचार के प्याज का आयात किया है या ‘फाइटोसेनटरी’ (स्वच्छता) प्रमाणपत्र पर ऐसे उपचार का उल्लेख किया है, उन्हें एक मान्यता प्राप्त उपचार प्रदाता के जरिये भारत में धुम्र-उपचार करने की अनुमति दी जाएगी.

यह भी पढ़ें: काजू की खेती से सुधरेगी किसानों की हालत, लाखों में कमाई का बनेगा जरिया

इसमें कहा गया है कि आयात की इस खेप को पादप संगरोध विभाग के अधिकारियों द्वारा पूरी तरह से निरीक्षण किया जाएगा और इन खेपों को, दूसरे देशों के कीटों और बीमारियों से मुक्त पाये जाने पर ही बाजार में जारी किया जाएगा. प्याज की ऐसी खेपों को 2003 के पीक्यू आदेश के तहत धुम्र-उपचार शर्तों का अनुपालन नहीं करने की वजह से चार गुना अतिरिक्त निरीक्षण शुल्क अदायगी के नियम अधीन नहीं किया जाएगा. मौजूदा समय में, प्याज को मिथाइल ब्रोमाइड से धुम्र-उपचार और निर्यातक देश के द्वारा प्रमाणित किये जाने के बाद भारत में लाने की अनुमति दी जाती है. अगर इन प्रावधान का अनुपालन नहीं करने पर आयातकों को भारी शुल्क का भुगतान करना पड़ता है. प्याज उत्पादक राज्यों में भारी बरसात के कारण खरीफ प्याज के उत्पादन में 30-40 प्रतिशत की गिरावट आने के कारण देश में प्याज की खुदरा कीमतें एक महीने से उच्च स्तर पर बनी हुई हैं.