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मोदी सरकार की FPO स्कीम से किसानों को होगा बड़ा फायदा, जानें क्या है यह योजना

वर्ष 2024 तक 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) की स्थापना के लिए 4,500 करोड़ रुपये के बजट समर्थन को मंजूरी दी गई है.

Updated on: 02 Mar 2020, 11:45 AM

दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार ने कृषि क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए अगले 5 साल में हजारों करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है. सरकार ने किसानों की उत्पादन लागत कम करने और उनकी आय बढ़ाने के लिए एक अहम फैसला किया है. वर्ष 2024 तक 10 हजार नए किसान उत्पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) की स्थापना के लिए 4,500 करोड़ रुपये के बजट समर्थन को मंजूरी दी गई है. इसके अलावा, वर्ष 2024-25 से वर्ष 2027-28 के दौरान इन एफपीओ की सहायता के लिए 2,369 करोड़ रुपये की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया है, जिसको मिलाकर कुल समर्थन राशि 6,865 करोड़ रुपये हो जायेगी.

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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में किसानों की आय वृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 तक के पांच साल की अवधि में 10,000 एफपीओ के गठन को मंजूरी दी थी. एफपीओ की स्थापना के बाद अगले पांच वर्षो के लिए प्रत्येक एफपीओ को समर्थन जारी रहेगा. एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सीसीईए ने एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना 'कृषक उत्पाद संगठन की स्थापना और प्रोत्साहन’ को मंजूरी दी है. इसके तहत 10,000 नये एफपीओ की स्थापना और उन्हें बढ़ावा दिये जाने के वास्ते पांच साल के लिए 4,496 करोड़ रुपये (वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24) के बजट प्रावधान की मंजूरी दी गई है.

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योजना के तहत करीब डेढ़ लाख रोजगार सृजित होने के आसार

योजना के तहत वर्ष 2024-25 से वर्ष 2027-28 की अवधि में 2,369 करोड़ रुपये की एक और प्रतिबद्ध देनदारी की परिकल्पना की गई है, जिसमें प्रत्येक एफपीओ को अपने गठन से पांच साल तक समर्थन प्रदान किया जायेगा. इस राशि को मिलाकर कुल समर्थन 6,865 करोड़ रुपये हो जाता है. मंत्री ने कहा कि कृषक उत्पाद संगठनों को सहारा और बढ़ावा देने के काम को अमल में लाने के लिये तीन एजेंसियां होंगी. इनमें- लघु कृषक कृषि- व्यवसाय समूह (एसएफएसी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड), शामिल हैं. राज्य भी चाहें तो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के परामर्श से अपनी कार्यान्वयन एजेंसी को इसमें नामित कर सकते हैं. योजना के तहत करीब डेढ़ लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है.

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बयान में कहा गया है, छोटे और सीमांत किसानों के पास मूल्य संवर्द्धन सहित उत्पादन तकनीक, सेवाओं और विपणन को अपनाने के लिए आर्थिक क्षमता नहीं होती है। एफपीओ के माध्यम से, किसान सामूहिक रूप से अधिक सुदृढ़ होने के साथ-साथ अधिक आय अर्जित करने हेतु बेहतर विपणन एवं गुणवत्तायुक्त उत्पाद और प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने में सक्षम होंगे. प्रारंभ में मैदानी क्षेत्र में एफपीओ में सदस्‍यों की न्‍यूनतम संख्‍या 300 और पूर्वोत्‍तर एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 100 होगी. हालांकि, केन्‍द्रीय कृषि मंत्री की स्‍वीकृति के साथ आवश्‍यकता और अनुभव के आधार पर न्‍यूनतम सदस्‍यों की संख्‍या संशोधित की जा सकती है. देश के आकांक्षी जिलों के प्रत्‍येक ब्‍लॉक में कम से कम एक एफपीओ के गठन के साथ आकांक्षी जिलों में एफपीओ के गठन को प्राथमिकता दी जाएगी. एफपीओ को 'एक जिला एक उत्पाद’ क्लस्टर के तहत बढ़ावा दिया जाएगा ताकि एफपीओ द्वारा विशेषज्ञता और बेहतर प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके.

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एफपीओ (FPO) क्या है

एफपीओ किसानों का ऐसा समूह होगा जो कि कृषि उत्पादन कार्य और कृषि संबंधित व्यवसायिक गतिविधियों में संलिप्त होगा. एफपीओ को कंपनी एक्ट में रजिस्टर्ड कराया जा सकेगा. लघु एवं सीमांत किसानों को एफपीओ से काफी फायदा होगा. एफपीओ से जुड़े किसानों को उनकी उपज का सही भाव तो मिलेगा ही साथ ही बीज, खाज, पेस्टीसाइड और कृषि उपकरण भी आसानी से खरीद सकेंगे. इसके अलावा किसानों को बिचौलियों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी.

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FPO बनाकर फंड पाने की शर्तें

  • मैदानी क्षेत्र में काम कर रहे एफपीओ में न्यूनतम 300 किसान जुड़े होने चाहिए
  • पहाड़ी क्षेत्र में एफपीओ के साथ 100 किसानों का जुड़ना बेहद जरूरी
  • नाबार्ड कंस्ल्टेंसी सर्विसेज द्वारा मिले रेटिंग के आधार पर एफपीओ को ग्रांट मिलेगा
  • गवर्नेंस और किसानों की मार्केट तक पहुंच बनाने में सहायक होना भी जरूरी

(इनपुट भाषा)