प्याज कीमतों में उछाल को लेकर मोदी सरकार सतर्क, जानें क्यों बढ़ रहे हैं दाम
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी ने तुर्की से 4,000 टन प्याज इंपोर्ट का एक और आर्डर दिया है. आयात की यह खेप जनवरी मध्य तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.
नई दिल्ली:
प्याज कीमतों में भारी बढ़ोतरी को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार पर चौतरफा हमले हो रहे हैं. यही वजह है कि घरेलू बाजार में प्याज की कमी को देखते हुए मोदी सरकार ने 4,000 टन प्याज के इंपोर्ट का एक और ऑर्डर दिया है. सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एमएमटीसी ने तुर्की से 4,000 टन प्याज इंपोर्ट का एक और आर्डर दिया है. आयात की यह खेप जनवरी मध्य तक पहुंचने की संभावना जताई जा रही है.
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प्याज की किल्लत को देखते हुए 1.2 लाख टन इंपोर्ट की मंजूरी
कैबिनेट ने घरेलू बाजार में प्याज की किल्लत को देखते हुए 1.2 लाख टन प्याज आयात को मंजूरी दी थी. इसमें से 21,000 टन से अधिक प्याज इंपोर्ट के लिए अनुबंध किए जा चुके हैं. उपभोक्ता मामलों के विभाग ने एमएमटीसी को प्याज के आयात के लिए तीन और टेंडर जारी करने का भी निर्देश दिया है, जिसमें से दो आर्डर तुर्की और यूरोपीय संघ को दिये गए हैं, जबकि एक और वैश्विक टेंडर है. इनमें से प्रत्येक टेंडर 5,000 टन प्याज के लिए है.
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बेमौसम बारिश की वजह से उत्पादन पर पड़ा खराब असर
बता दें कि देश में प्याज उत्पादन का करीब 30 फीसदी हिस्सा महाराष्ट्र से आता है. गौरतलब है कि बेमौसम बारिश की वजह से इस साल प्याज उत्पादन पर काफी बुरा असर पड़ा है. पिछले साल महाराष्ट्र में प्याज की कुल उपज 80.47 लाख टन थी, जो इस साल घटकर महज 65 लाख टन रह गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुंबई के जेएनपीटी बंदरगाह पर 10 दिसंबर को प्याज की 1,160 टन की पहली खेप उतरेगी. उसे देशभर में सप्लाई के लिए भेज दिया जाएगा. 17 दिसंबर तक 1,450 टन, 24 दिसंबर तक 2030 टन और 31 दिसंबर तक 1450 टन प्याज मुंबई आ जाएगा.
ओनियन एक्सपोर्टर्स असोसिएशन (OEA) के एक अधिकारी के मुताबिक मिस्र, तुर्की और नीदरलैंड से देश में अबतक 6,000 टन प्याज आ चुका है. उनका कहना है कि पिछले 3 हफ्ते में 6,000 टन प्याज की खेप भारत पहुंच चुकी है और अगले 2-3 दिन में 1,000 टन प्याज और पहुंच जाएगा.
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प्याज की कीमतों में क्यों आया उछाल
- प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में भारी बारिश से सप्लाई प्रभावित
- भंडारण किए गए प्याज के बड़ी मात्रा में खराब होने का भी असर
- इस साल बेमौसम बारिश के चलते भी प्याज की कीमतों में इजाफा
- आवक कम होने और खपत ज्यादा होने के कारण प्याज के दामों में बढ़ोतरी
- बारिश के कारण कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश में फसल को नुकसान
- मध्य प्रदेश, गुजरात और कुछ अन्य राज्यों में भी फसल को 75-85 फीसदी तक नुकसान
- प्रमुख प्याज उत्पादक देशों से प्याज आयात का फैसला देरी से लिया गया
कीमतों पर लगाम के लिए सरकार की दलील
प्याज की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार ने देश में प्याज की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं. उनका कहना है कि प्याज के भंडारण से जुड़े ढांचागत मुद्दों का समाधान निकालने के उपाय आदि किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि खेती के रकबे में कमी आई है और उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है लेकिन सरकार उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए कई ठोस कदम उठा रही है. उनका कहना है कि सप्लाई बनाए रखने के लिए मिस्र और तुर्की से प्याज का इंपोर्ट किया जा रहा है.
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वहीं केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान का कहना है कि दुनियाभर में प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं, इसलिए भारत में भी इसका असर दिख रहा है. उन्होंने कहा कि प्याज का इंपोर्ट करने के बावजूद इसकी कीमतें कम नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि विदेशों से प्याज की नई खेप आने वाली है और उन्हें उम्मीद है कि प्याज के दाम अब कम होने लगेंगे. मिस्र से जल्द ही 6,090 टन प्याज की खेप आने वाली है, जिसके बाद देश में प्याज के दाम में कमी आ सकती है.
सरकार ने कीमतों पर लगाम के लिए अबतक क्या प्रयास किए
- आयात सहित विभिन्न उपायों से प्याज की आपूर्ति में सुधार लाने का प्रयास कर रही है सरकार
- सप्लाई बढ़ाकर प्याज की कीमतों पर अंकुश लगाने का प्रयास
- सरकार ने प्याज की सप्लाई बढ़ाने के लिए आयात नियमों को आसान बनाया
- जमाखोरी रोकने के प्रयास में तीन दिसंबर को स्टॉक लिमिट की सीमा घटाई
- खुदरा विक्रेताओं और थोक विक्रेताओं के लिए प्याज की स्टॉक सीमा घटाकर क्रमशः 5 टन और 25 टन की
- आयातित प्याज पर यह स्टॉक सीमा लागू नहीं होगी
- कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया
प्याज के प्रमुख उत्पादक राज्य
महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश
इन देशों से हो रहा प्याज का इंपोर्ट
अफगानिस्तान, मिस्र, तुर्की, ईरान
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