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पाम ऑयल (Palm Oil)( Photo Credit : IANS)
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पाम ऑयल (Palm Oil)( Photo Credit : IANS)
स्थानीय तेलशोधन करने वाली कंपनियों और तिलहन उत्पादकों को संरक्षित करने के लिए सरकार को प्रति माह 50,000 टन रिफाइंड पामतेल और पामोलिन का आयात करने की सीमा तय करनी चाहिए. खाद्यतेल प्रसंस्करण उद्योग के मंच एसईए ने मंगलवार को यह सुझाव रखा. उद्योग संगठन सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (Solvent Extractors Association of India-SEA) ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार से पाम ऑयल (Palm Oil) और रिफाइंड पाम ऑयल (Refined Palm Oil) के आयात (Import) के लिए लाइसेंस जारी करने पर रोक लगाने को कहा है.
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वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को दिया ज्ञापन
एसईए ने इस संबंध में वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को एक ज्ञापन दिया है. पिछले हफ्ते, सरकार ने एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश मलेशिया द्वारा नए नागरिकता कानून और कश्मीर मुद्दे पर टिप्पणी करने की वजह से रिफाइंड पाम तेल और पामोलिन के आयात पर कुछ रोक लगाया था. एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने वाणिज्य मंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि मीडिया की खबरों से लगता है कि सरकार सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए राज्य की एजेंसियों और निजी संगठनों को रिफाइंड पाम तेल के आयात के लिए लाइसेंस जारी कर सकती है.
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चतुर्वेदी ने कहा कि हमें आशंका है कि अगर इस मामले में उपयुक्त सीमा नहीं तय की गयी तो भारत में रिफाइंड पाम तेल और पामोलिन की भरमार हो सकती है. एसईए ने इन तेलों के आयात पर मासिक 50,000 टन की सीमा रखने का सुझाव दिया है. भारत सालाना लगभग 1.5 करोड़ टन वनस्पति तेलों का आयात करता है. इसमें पाम तेल का हिस्सा 90 लाख टन है. बाकी 60 लाख टन सोयाबीन और सूरजमुखी तेल का आयात होता है. पामतेल मुख्यत: इंडोनेशिया और मलेशिया से आता है.
Source : Bhasha