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बासमती चावल पर भारत और पाकिस्तान में क्यों मची हुई है 'जंग', जानिए पूरा मामला

भारत ने यूरोपियन यूनियन में बासमती चावल के ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) के लिए आवेदन किया है. वहीं पाकिस्तान को भारत का यह कदम नागवार है और वह यूरोपीय यूनियन में भारत के इस आवेदन का विरोध कर रहा है.

Updated on: 09 Jun 2021, 10:22 AM

highlights

  • भारत ने EU में बासमती चावल के GI टैग के लिए आवेदन किया
  • पाकिस्तान ने जनवरी 2021 में अपने देश में जीआई टैग हासिल किया

नई दिल्ली:

बासमती चावल (Basmati Rice) भारत और पाकिस्तान में काफी पसंद किया जाता है. दोनों ही देशों में बासमती चावल का खानपान में काफी महत्व है, लेकिन ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (Protected GI) टैग के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान में खींचतान शुरू हो गई है. गौरतलब है कि भारत ने यूरोपियन यूनियन (European Union) में बासमती चावल के ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) के लिए आवेदन किया है. वहीं पाकिस्तान को भारत का यह कदम नागवार है और वह यूरोपीय कमीशन में भारत के इस आवेदन का विरोध कर रहा है. भारत के बासमती चावल के जीआई टैग के दावे को पाकिस्तान इस तर्क पर खारिज करता है कि उसके देश में भी बासमती उगाया जाता है. 

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पाकिस्तान में जल्दबाजी में  जीआई रजिस्ट्री बनाई
जानकारों का कहना है कि भारत के बासमती चावल को जीआई टैग मिलने पर पाकिस्तान को यूरोपीय देशों में पाकिस्तानी बासमती चावल के लिए दरवाजे बंद होने का खतरा लग रहा है. यही वजह है कि वह भारत के जीआई टैग के दावे का विरोध कर रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस समस्या के समाधान के लिए पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करने के इरादे से जल्दबाजी में एक जीआई रजिस्ट्री भी बनाई और जनवरी 2021 में ज्योग्राफिकल इंडिकेशन एक्ट, 2020 के तहत पाकिस्तान में जीआई टैग हासिल कर लिया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान ने यह कदम अपने यहां पैदा होने वाली बासमती चावल का जीआई रजिस्ट्रेशन यूरोपीय यूनियन में करवाने के लिए उठाया था.

2015 में भारत ने अपने देश में करा लिया था जीआई रजिस्ट्रेशन 
जानकारों का कहना है कि किसी भी देश को दूसरे देश में जीआई के रूप में रजिस्टर्ड कराने के लिए उसे सबसे पहले अपने देश में जीआई रजिस्ट्रेशन लेना होगा. बता दें कि 2015 में भारत ने अपने देश में बासमती चावल का जीआई रजिस्ट्रेशन करा लिया था. वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान ने ऐसा कोई भी कदम नहीं उठाया और वह बगैर जीआई टैग के ही बासमती चावल की बिक्री करता रहा, जिसकी वजह से दूसरे देशों में भारतीय बासमती चावल के मुकाबले पाकिस्तान के बासमती को कारोबार के मोर्चे पर काफी नुकसान उठाना पड़ा. जानकार कहते हैं कि इन सब वजहों से मध्यपूर्व के ज्यादातर मुस्लिम देश भी भारत की बासमती चावल को ही पसंद करते हैं.

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क्यों जरूरी है जीआई टैग 
एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र वाले उत्पाद के लिए जियोग्राफिकल इंडीकेशन का इस्तेमाल किया जाता है. मतलब यह कि उत्पत्ति की विशेष भौगोलिक पहचान से जोड़ने के लिए किसी उत्पाद को जीआई टैग दिया जाता है. उत्पाद को दूसरों से अलग और खास बनाए रखने के साथ ही विशिष्ट पहचान कायम रखने के लिए जीआई टैग महत्वपूर्ण है. बता दें कि मूल क्षेत्र के होने की वजह से ऐसे उत्पादों की विशिष्टता एवं प्रतिष्ठा होती है. जीआई टैग की वजह से किसी खास उत्पाद के साथ क्‍वालिटी खुद ही जुड़ जाती है.