अगर आपने जॉब बदलते वक्त ये काम नहीं किया तो EPF बैलेंस निकासी में हो सकती है परेशानी
कई बार ऐसा होता है कि कर्मचारी अपनी जॉब बदलते वक्त कुछ चीजों को अनदेखा कर देते हैं, जिससे बाद में उन्हें समस्या का सामना करना पड़ जाता है.
नई दिल्ली:
कई बार ऐसा होता है कि कर्मचारी अपनी जॉब बदलते वक्त कुछ चीजों को अनदेखा कर देते हैं, जिससे बाद में उन्हें समस्या का सामना करना पड़ जाता है. इन परेशानियों में सबसे अहम ईपीएफ अकाउंट को लेकर है. अगर कोई कर्मचारी कंपनी छोड़ते समय तय प्रक्रिया का पालन नहीं करते हो तो हो सकता है कि आगे अपने ईपीएफ के पैसे का ट्रांसफर या निकासी ना कर पाएं. ऐसा भी हो सकता है कि आप अपने ईपीएफ अकाउंट पर लॉग इन भी नहीं कर पाएं.
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उदाहरण के तौर पर देखें तो एक कर्मचारी आईटी कंपनी में जॉब कर रहा है. इसी दौरान उसे दूसरी एक आईटी कंपनी से जॉब ऑफर आता है, जो उसे अच्छी सैलरी हाइक भी दे रहे हैं. वह कंपनी चाहती है कि वह कर्मचारी 10-15 दिन बाद ही उनके यहां ज्वाइन करे. कर्मचारी इस ऑफर को स्वीकार कर लेता है और अपनी पुरानी कंपनी में इस्तीफा स्वीकार होने से पहले ही नई कंपनी ज्वाइन कर लेता है.
अब उस व्यक्ति को अपने ईपीएफ अकाउंट को लेकर समस्या आने लगी है. वह न तो अपने ईपीएफ मनी को ट्रांसफर करा पा रहा है और ना ही उसकी निकासी कर पा रहा है. यही नहीं वह अपने ईपीएफ अकाउंट पर लॉग-इन भी नहीं कर पा रहा है. उसे यह परेशानी जॉब बदलते समय तय प्रक्रिया का पालन नहीं करने की वजह से हो रही है. जब उसने अपनी पर्सनल डिटेल्स के साथ लॉग-इन करने की कोशिश करता है तो डाटा मिसमैच दिखाई देता है.
बता दें कि उस कर्मचारी के ईपीएफ रिकॉर्ड में पिछली कंपनी द्वारा एग्जिट डेट नहीं डाली गई है. इपीएफओ के नियमों के अनुसार, जब तक कर्मचारी जॉब नहीं छोड़ देता, तब तक वह अपने ईपीएफ मनी की निकासी और ट्रांसफर नहीं कर सकता है. अब वह व्यक्ति अपनी इस समस्या को लेकर ईपीएफओ कार्यालय जाता है. वहां उसे बताया जाता है कि वह अपनी पिछली कंपनी से उसके ईपीएफ अकाउंट में डेट ऑफ एग्जिट की डिटेल भरने को कहे. साथ ही उस व्यक्ति को कहा गया कि वह अपने पर्सनल मोबाइल नंबर को ईपीएफओ के साथ अपडेट करे.
अब उसके पास अपने पुराने एंप्लॉयर से मिलने के सिवाय और कोई चारा नहीं है. जब वह अपने पुराने एंप्लॉयर से ईपीएफओ रिकॉर्ड में डेट ऑफ एग्जिट भरने के लिए कहता है तो वे उससे नोटिस पीरियड सर्व नहीं करने के ऐवज में एक महीने की सैलरी जमा करने के लिए कहते हैं. दरअसल, रमेश के अपॉइंटमेंट लेटर में यह शर्त रखी गई थी.
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अब उस व्यक्ति को एक महीने की सैलरी अपने पुराने एंप्लॉयर के पास जमा करानी ही होगी. यह राशि लेने के बाद ही एंप्लॉयर रमेश के ईपीएफओ रिकॉर्ड में डेट ऑफ एग्जिट की डिलेट भरेगा. जब ईपीएफओ रिकॉर्ड में पुरानी कंपनी से डेट ऑफ एग्जिट आ जाएगी, तब रमेश का ईपीएफ अकाउंट नए एंप्लॉयर के पास ट्रांसफर हो सकेगा, इसलिए उसके सामने आयी समस्याओं से बचने के लिए हमें हमेशा जॉब बदलते समय पूरी प्रक्रिया का पालन करने की कोशिश करनी चाहिए.
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