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किसानों के लिए आएंगे अच्छे दिन, नए कानून से कृषि उत्पादों के निर्यात को मिलेगा बढ़ावा

कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Epidemic) की रोकथाम के मद्देनजर भारत समेत दुनियाभर में लॉकडाउन होने की वजह से फल-सब्जी समेत जल्द खराब होने वाले उत्पादों की घरेलू मांग और निर्यात प्रभावित हुआ.

कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Epidemic) की रोकथाम के मद्देनजर भारत समेत दुनियाभर में लॉकडाउन होने की वजह से फल-सब्जी समेत जल्द खराब होने वाले उत्पादों की घरेलू मांग और निर्यात प्रभावित हुआ.

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Dhirendra Kumar
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Farmer( Photo Credit : IANS)

कोरोना काल में देश के कृषि क्षेत्र (Agriculture) के विकास के लिए अध्यादेश लाकर शुरू किए गए नए सुधार से न सिर्फ पूरा देश एकल कृषि बाजार में तब्दील हुआ है बल्कि इससे निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकता है. जानकार बताते हैं कि नए नीतिगत सुधारों से कृषि उत्पादों का निर्यात 2022 तक दोगुना करने के भारत सरकार के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. कोरोना वायरस संक्रमण (Coronavirus Epidemic) की रोकथाम के मद्देनजर भारत समेत दुनियाभर में लॉकडाउन होने की वजह से फल-सब्जी समेत जल्द खराब होने वाले उत्पादों की घरेलू मांग और निर्यात प्रभावित हुआ, लेकिन वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद विकास प्राधिकरण (एपीडा) के अधकारी बताते हैं कि सुधार के कार्यक्रम के तहत देश में बुनियादी ढांचों का विकास और कृषि उत्पाद प्रसंस्करण को बढ़ावा देने से आने वाले दिनों निर्यात को बढ़ावा मिल सकता है.

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एपीडा के तहत आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (बीईडीएफ) के निदेशक एके गुप्ता ने कहा कि नए कानून में किसानों को देश में कहीं भी अपने उत्पाद बेचने की आजादी मिलने के साथ-साथ उनके उत्पादों का निर्यात भी सुगम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि चाहे ताजे फल व सब्जियां हों या प्रसंस्कृत उत्पाद दोनों के निर्यात को नए सुधार के कार्यक्रमों से लाभ मिलेगा क्योंकि उत्पादों की क्वालिटी की मॉनिटरिंग आसान हो जाएगी. उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कांट्रैक्ट फार्मिग को बढ़ावा मिलेगा और उत्पादों का प्रसंस्करण से लेकर क्वालिटी मॉनिटरिंग में मदद मिलेगी.

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2022 तक कृषि उत्पादों का निर्यात 60 अरब डॉलर करने का लक्ष्य
गुप्ता ने कहा कि भारत सरकार ने 2022 तक कृषि उत्पादों का निर्यात 60 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है जोकि इस समय करीब 30.32 अरब डॉलर है, लेकिन सुधार के नए कार्यक्रमों से निस्संदेह इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी. कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि कृषि व बागवानी उत्पाद हो या डेयरी उत्पाद, क्वालिटी को लेकर निर्यात में कठिनाई आती है, लेकिन देश में इन्फ्रास्ट्रक्च र का विकास होने और उन्नत तकनीक के प्रयोग से इन कठिनाइयों को दूर किया जा सकता है. जानकारी के अनुसारए कोरोना काल में बागवानी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने दुनिया के कई देशों में स्थित भारतीय दूतावास में एग्री सेल बनाया है जो उत्पादों की ढुलाई व कोरियर सेवा समेत अन्य जरूरी मदद करता है.

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20 मई के बाद एयर कार्गो उड़ान के जरिए कुछ उत्पादों का निर्यात बढ़ा
एपीडा में बागवानी उत्पादों का निर्यात देखने वाले एक अधिकारी ने उद्योग से मिली जानकारी साझा करते हुए कहा कि 20 मई के बाद एयर कार्गो उड़ान के जरिए कुछ उत्पादों का निर्यात बढ़ा है. उन्होंने बताया कि आम और प्याज का निर्यात समुद्री जहाज के जरिए मध्य-पूर्व के देशों में लगातार जारी है. महाराष्ट्र के नासिक के अंगूर कारोबारी व निर्यातक अमित चोपड़े ने बताया कि 25 मार्च को देशव्यापी लॉकडाउन होने से ताजा अंगूर की बिक्री प्रभावित रही. उन्होंने कहा कि न तो निर्यात हो पाया और न ही घरेलू बाजार में मांग के अनुरूप बिक्री हो पाई क्योंकि परिवहन व्यवस्था की कठिनाइयों के कारण सप्लाई बाधित रही. उन्होंने कहा कि देश में प्रसंस्करण के लिए बुनियादी संरचनाओं क विकास से निस्संदेह कृषि और बागवानी को बढ़ावा मिलेगा और निर्यात भी बढ़ेगा.

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत आने वाले और हिमाचल प्रदेश के शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के कार्यकारी निदेशक डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में नवाचार और सुधार के कार्यक्रमों से आलू की खेती, उत्पादन, रखरखाव, प्रसंस्करण और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों को बेहतर दाम मिल पाएगा. कोरोना काल में केंद्र सरकार ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान समझौता (अधिकार प्रदान करना और सुरक्षा) और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 लाने के साथ-साथ कृषि उत्पादों के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन किया है.

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