कच्चे तेल में तेजी से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था को पहुंचेगा नुकसान, धर्मेंद्र प्रधान ने दी चेतावनी
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने चेतावनी दी है कि कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में आ रहे सुधार को नुकसान पहुंच सकता है.
नई दिल्ली :
आम आदमी को आने वाले समय में पेट्रोल और डीजल (Petrol Diesel Price) की महंगाई से लगातार जूझना पड़ सकता है. दरअसल, पिछले कुछ समय में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला है जिसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिखाई पड़ सकता है. रॉयटर्स (Reuters) की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री (Minister of Petroleum & Natural Gas) धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने चेतावनी दी है कि कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी की वजह से दुनियाभर की अर्थव्यवस्था में आ रहे सुधार को नुकसान पहुंच सकता है.
यह भी पढ़ें: हेल्थ इंश्योरेंस में मच्छर जनित बीमारियां भी होंगी कवर, 1 अप्रैल से मिलने जा रही है सुविधा
एक साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गया कच्चा तेल
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल कोरोना वायरस महामारी की वजह से अधिकांश अर्थव्यवस्थाएं सिकुड़ गई थीं. धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि ओपेक (OPEC), रूस समेत अन्य तेल उत्पादक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती की वजह से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें इस हफ्ते एक साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई थीं. तेल उत्पादक देशों के इस रुख ने बाजार के संतुलन को बिगाड़ दिया है. धर्मेंद्र प्रधान ने एसएंडपी ग्लोबल प्लैट्स (S&P Global Platts) के साउथ एशिया कमोडिटीज फोरम (South Asia Commodities Forum) में कहा कि कृत्रिम रूप से कीमतों को बढ़ाने के प्रयासों का वैश्विक आर्थिक सुधार पर गहरा असर पड़ेगा.
यह भी पढ़ें: सुकन्या समृद्धि योजना में '1 रुपये' से भी कम करें निवेश और पाएं लाखों रुपये
भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85 फीसदी करता है इंपोर्ट
बता दें कि धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले महीने भी कच्चे तेल की ऊंची कीमतों के लिए ओपेक और अन्य उत्पादक देशों को दोषी ठहराया था. हालांकि उनका कहना है कि वह बेहद कम कीमतों के पक्ष में नहीं हैं लेकिन हम बहुत ज्यादा ऊंची कीमतों को भी सपोर्ट नहीं कहते हैं. उनका कहना है कि ज्यादा कीमत होने से भारत में लाखों लोगों तक ऊर्जा की पहुंच नहीं हो पाती है. उनका कहना है कि भारत अपनी तेल जरूरतों का लगभग 85 फीसदी और गैस की मांग की जरूरतों का आधा इंपोर्ट करता है. उनका कहना है कि अगर दुनिया को एक साथ आगे बढ़ना है तो उत्पादकों और उपभोक्ताओं के बीच पारस्परिक रूप से सहायक संबंध होना चाहिए. यह तेल उत्पादकों के भी हित में है क्योंकि तेल पर निर्भर अर्थव्यवस्थाएं लगातार बढ़ रही हैं.
यह भी पढ़ें: सरल पेंशन योजना क्या है, जानिए कब से हो रही है शुरू और क्या हैं इसके फायदे
प्रधान ने कहा कि भारत मध्यपूर्व के उत्पादकों के ऊपर निर्भरता को कम करने के लिए अपनी ऊर्जा के स्रोतों में विविधता ला रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ भारत लिक्विफाइड नेचुरल गैस (LNG) इंपोर्ट को लेकर भारी संभावनाएं देख रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के शीर्ष दस तेल आपूर्तिकर्ताओं में से एक है। उन्होंने कहा कि अपनी बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत घरेलू परियोजनाओं में 143 बिलियन डॉलर का निवेश कर रहा है ताकि स्थानीय आउटपुट को बढ़ावा दिया जा सके और तेल और गैस बुनियादी ढांचे का निर्माण किया जा सके.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Abrahamic Religion: दुनिया का सबसे नया धर्म अब्राहमी, जानें इसकी विशेषताएं और विवाद
-
Peeli Sarso Ke Totke: पीली सरसों के ये 5 टोटके आपको बनाएंगे मालामाल, आर्थिक तंगी होगी दूर
-
Maa Lakshmi Mantra: ये हैं मां लक्ष्मी के 5 चमत्कारी मंत्र, जपते ही सिद्ध हो जाते हैं सारे कार्य