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अमेरिका-सऊदी अरब के बीच कम हुआ तनाव, पेट्रोल-डीजल के दाम घटने के आसार

सऊदी अरब और अमेरिका के बीच हफ्तों चले तनाव के बाद उत्पादन में बढ़ोतरी का फैसला युद्धविराम के रूप में सामने आया है.

Updated on: 03 Dec 2021, 01:46 PM

highlights

  • ओपेक और सहयोगी देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी जारी रखने का फैसला किया
  • पिछले महीने अमेरिका ने पेट्रोलियम रिजर्व से लाखों बैरल कच्चे तेल की सप्लाई जारी की थी

नई दिल्ली:

कच्चा तेल (Crude Oil) निर्यातक देशों के संगठन OPEC और उसके सहयोगी तेल उत्पादक देशों ने कोरोना वायरस के नये वैरिएंट Omicron को लेकर बढ़ती चिंता के बीच अपने तेल उत्पादन में बढ़ोतरी किए जाने को लेकर सहमति जताई है. बता दें कि कोरोना वायरस के नए वैरिएंट के सामने आने के बाद से दुनियाभर में आर्थिक ग्रोथ को लेकर अनिश्चितता का माहौल है. वहीं दूसरी ओर क्रूड कीमतों पर अमेरिका और सऊदी अरब के बीच रार अब खत्म हो गई है और वे अब फिलहाल साथ आते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. गौरतलब है कि गुरुवार को सऊदी अरब की अगुवाई में ओपेक देशों के प्रतिनिधियों और रूस की अगुवाई में उनके सहयोगी देशों ने जनवरी से रोजाना 4,00,000 बैरल कच्चे तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी जारी रखने के पक्ष में मतदान किया है.

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बता दें कि हाल के दिनों में ईंधन की कीमतों में आई तेजी को देखते हुए अमेरिका और अन्य प्रमुख तेल उत्पादक देशों का मानना था कि ओपेक और उसके सहयोगी देश तेल उत्पादन बढ़ाना चाहिए. हालांकि कुछ जानकारों का कहना है कि ओपेक और उसके सहयोगी देशों के द्वारा तेल उत्पादन की रणनीति को लेकर सतर्क रुख अपनाया जा सकता है. ओपेक और उसके सहयोगी देश किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले कोविड के नए वैरिएंट के बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों से और स्पष्टता आने का इंतजार कर रहे हैं.  

सऊदी अरब और अमेरिका के बीच हफ्तों चले तनाव के बाद उत्पादन में बढ़ोतरी का फैसला युद्धविराम के रूप में सामने आया है. बता दें कि अमेरिकी अधिकारी इस हफ्ते खाड़ी देश में थे और यह उनकी सकारात्मक बातचीत का ही यह परिणाम माना जा रहा है. बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कीमतों को काबू में करने के लिए पर्याप्त सप्लाई की मांग उठा रहे थे. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि राजनयिक मिशन ने ऊर्जा से लेकर किन मुद्दों तक अपनी पहुंच बनाई है. तेल नीति से परे अमेरिका और सऊदी अरब के हितों में ईरान एक प्रमुख हिस्सा रहा है.

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बता दें कि पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कीमतों को काबू में करने के लिए अपने स्टैटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व से लाखों बैरल कच्चे तेल की सप्लाई जारी की थी और उसके बाद उनके सऊदी अरब के साथ संबंधों में कड़वाहट आ गई थी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने उत्पादन में बढ़ोतरी की मांग को प्रभावी बनाने के लिए जापाना, भारत और ब्रिटेन का साथ लिया था. इसके बाद ओपेक के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी थी कि वे कीमतों को बढ़ाने के लिए प्रतिक्रिया दे सकते हैं.