बिहार में केंद्रीय बजट से कोई खुश तो कुछ हुए निराश
केंद्रीय वित्तमंत्री पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश किए गए अंतरिम बजट में बिहार के लिए विशेष सहायता राशि नहीं दिए जाने से कुछ लोग निराश हैं,
नई दिल्ली:
केंद्रीय वित्तमंत्री पीयूष गोयल द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश किए गए अंतरिम बजट में बिहार के लिए विशेष सहायता राशि नहीं दिए जाने से कुछ लोग निराश हैं, तो कई लोग इस अंतरिम बजट को किसानों, मध्यवर्ग और आम लोगों का बजट बताते हुए इसकी सराहना कर रहे हैं. बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पी.के. अग्रवाल ने इस बजट को बिहार के दृष्टिकोण से निराशाजनक, जबकि पूरे देश के दृष्टिकोण से स्वागतयोग्य करार दिया. उन्होंने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "इस बजट में बजटीय घोषणाओं से छोटे एवं मध्यवर्गीय लोग लाभान्वित होंगे. हालांकि बिहार राज्य के लिए इस अंतरिम बजट में कोई विशेष प्रस्ताव नहीं होने से हमें थोड़ी निरशा जरूर हुई है, लेकिन संपूर्ण सामाजिक उत्थान के हिसाब से इस बजट को सराहनीय कहा जा सकता है."
उन्होंने कहा कि आयकर की सीमा बढ़ाए जाने से जहां आम और मध्यवर्गीय परिवारों को लाभ मिलेगा, वहीं टीडीएस का दायरा बढ़ाए जाने से वेतनभोगी लोगों को लाभ होगा. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत दो हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को सालाना 6000 रुपये की निश्चित आय केंद्र सरकार द्वारा देने की घोषणा की गई जो स्वागतयोग्य है.
बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष के.पी.एस. केशरी ने अंतरिम बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बजट में आयकर छूट सीमा को 2.5 लाख से बढ़ाकर सीधे 5 लाख रुपये किया जाना एक साहसिक कदम है. इसे क्रांतिकारी शब्द भी दिया जा सकता है.
उन्होंने कहा, "बजट में देश के किसान एवं मजदूर वर्ग के लोगों के हितों पर विशेष ध्यान दिया गया है. सही समय पर अपना ऋण भुगतान करने पर किसानों को 3 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज अनुदान उपलब्ध कराए जाने की घोषणा से किसानों को फायदा तो होगा ही, बैंकों को भी लिए गए उधार का भुगतान सही समय पर प्राप्त होगा."
केशरी ने आगे कहा कि उद्योगों को खास कर सूक्ष्म एवं लघु प्रक्षेत्र के उद्योगों को बजट के माध्यम से विशेष राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इसके लिए बजट में कोई चर्चा नहीं है, जिससे थोड़ी निराशा हुई है.
एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अरुण अग्रवाल ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि श्रम योगी मनधन योजना के तहत असंगठित क्षेत्र में लगे कामगारों को 60 साल उम्रसीमा के बाद 3 हजार रुपये प्रति माह पेंशन के रूप में दिए जाने का प्रावधान किया जाना एक सराहनीय कदम है.
उन्होंने कहा कि बजट में छोटे सीमांत किसानों के लिए भी बड़ी घोषणा की गई है. वरिष्ठ अर्थशास्त्री और पटना कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. नवल किशोर चौधरी ने इस बजट को कई मामलों में सही तो कई मामलों में निराशाजनक बताया है. उन्होंने बजट में क्षेत्रीय असमानता को लेकर कोई बात नहीं की गई, जिससे बिहार जैसे पिछड़े राज्यों के लोगों को निराशा हुई है.
उन्होंने बजट में आयकर सीमा बढ़ाए जाने का स्वागत किया है. किसानों और मजदूरों के लिए कल्याण के लिए किए गए प्रस्तावों का उन्होंने स्वागत किया है.
पटना के राजा बजार की रहने वाली भारतीय जीवन बीमा निगम में कार्यरत महिला रश्मि दुबे कहती हैं कि मोदी सरकार ने अपने बजट में मध्यम वर्ग को बड़ी राहत दी है. सरकार ने आयकर की सीमा बढ़ाकर दोगुनी कर दी है, जिसका सीधा असर घरेलू बजट पर पड़ेगा. इसके अलावा ग्रैच्युटी सीमा में बढ़ोतरी से नौकरीपेशा वर्ग को बड़ी राहत मिली है.
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