सीतारमण पेश करेंगी अपना चौथा बजट, मोदी सरकार के 9 बजटों में मिला था ये
दिवंगत अरुण जेटली ने टैक्स फ्री इनकम की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी थी. यह अलग बात है कि उसके बाद से अब करीब साढ़े सात साल हो गए हैं, लेकिन इस सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
highlights
- अरुण जेटली ने बढ़ाई थी कर मुक्त इनकम की सीमा
- साढ़े सात सालों में इस सीमा में नहीं हुआ कोई बदलाव
- पांच राज्यों में चुनाव देख लोगों को राहत की उम्मीद
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) मंगलवार को अपना चौथा बजट (Budget 2022) पेश करने जा रही हैं. कोरोना कहर (Corona Epidemic) से कराह रहे आम आदमी को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. खासकर कर छूट के लिए इनकम टैक्स (Income Tax) की स्लैब में बदलाव की संभावनाओं पर उसकी निगाहें टिकी हैं. माना जा रहा है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) के मद्देनजर भी टैक्स में छूट देकर आम जनता को राहत दी जा सकती है. इस तरह चुनावी राज्यों में लोगों को लुभाया जा सकता है. मोदी सरकार का यह नौंवा बजट होगा. ऐसे में यह देखना कम रोचक नहीं होगा कि मोदी सरकार के अब तक के बजटों में आम आदमी को क्या कुछ दिया गया.
कर मुक्त आय में की गई वृद्धि
मोदी सरकार ने अपने पहले बजट में आम लोगों को कर मुक्त आय का तोहफा दिया था. 2014 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री दिवंगत अरुण जेटली ने टैक्स फ्री इनकम की सीमा 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दी थी. यह अलग बात है कि उसके बाद से अब करीब साढ़े सात साल हो गए हैं, लेकिन इस सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
इस तरह 5 लाख की आय को बनाया कर मुक्त
भले ही मोदी सरकार ने पिछले करीब साढ़े सात सालों में टैक्स छूट की सीमा को 2.5 लाख से नहीं बढ़ाया है, लेकिन 2019 के बजट में एक ऐसा तरीका पेश किया, जिससे 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई कर देय नहीं होता. यानी अगर आपका वेतन 5 लाख रुपये है, तो उस पर 2.5 लाख टैक्स फ्री होता है. बचे 2.5 लाख रुपये पर सरकार 5 फीसदी टैक्स की अतिरिक्त छूट दे देती है, जिससे लोगों की आय 5 लाख रुपये तक टैक्स फ्री हो जाती है. यह दूसरी बात है कि यदि आपकी आय 5 लाख रुपये से एक रुपये भी अधिक हुई, तो आप इस छूट से वंचित हो जाते हैं.
2020 में नया टैक्स स्लैब सिस्टम
रिटर्न फाइल करने की माथापच्ची को कम करने के लिए मोदी सरकार 2020 के बजट में एक नई टैक्स व्यवस्था लेकर आई थी. उस साल एक नया टैक्स सिस्टम लाया गया, जिसमें कोई डि़क्शन नहीं मिलता, लेकिन टैक्स की दर कम होती है. यह अलग बात है कि लोगों को यह ज्यादा रास नहीं आया. असेसमेंट ईयर 2021-22 का आईटीआर फाइल करने में सिर्फ 5 फीसदी लोगों ने ही नए सिस्टम को अपनाया. इनके अतिरिक्त लोगों ने पुराने सिस्टम से ही टैक्स भरना उचित समझा.
मोदी सरकार के पिछले 9 बजट
- 2014 के बजट में टैक्स छूट की सीमा को 2 लाख से बढ़ाकर ढाई लाख किया गया. साथ ही 80सी के तहत डिडक्शन की सीमा भी 1 लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख की गई. होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा को भी 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये की गई.
- 2015 के बजट में सेक्शन 80CCD(1b) के तहत एनपीएस में निवेश पर 50 हजार रुपये की टैक्स छूट दी गई. इसके अतिरिक्त सुपर रिच श्रेणी के तहत 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की सालाना आया पर लगने वाले सरचार्ज को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी किया गया.
- मोदी सरकार ने 2016 में 5 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए टैक्स रिबेट 2000 रुपये से बढ़ाकर 5 हजार रुपये की। साथ ही घर का किराया देने वालों के लिए टैक्स छूट को 24 हजार रुपये से बढ़ाकर 60 हजार रुपये कर दिया गया। 35 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा 50 हजार रुपये कर दी गई। वहीं 1 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वालों पर सरचार्ज फिर से बढ़ाया गया और इसे 12 फीसदी से बढ़ाते हुए 15 फीसदी कर दिया गया।
- साल 2017 के बजट में 2.5 से 5 लाख रुपये पर लगने वाला टैक्स को 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी किया. ऐसा करते ही 5 लाख रुपये तक की आय वालों की पूरी इनकम टैक्स फ्री हो गई. 50 लाख से 1 करोड़ तक कमाने वालों पर 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया.
- 2018 में स्टैंडर्ड डिडक्शन स्कीम को वापस लाया गया. इसके तहत नौकरीपेशा लोग 40 हजार रुपये तक का सीधे-सीधे डिडक्शन पा सकते थे. इस नई व्यवस्था के बदले 15 हजार रुपये के मेडिकल रीइंबर्समेंट और 19,200 रुपये के ट्रांसपोर्ट अलाउंस को खत्म किया गया।. वहीं सेस को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया.
- पीयूष गोयल ने 2019 के बजट में 5 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री करने की घोषणा की. सशर्त लाई गई इस योजना के तहत कर योग्य 5 लाख रुपये से अधिक नहीं होने पर 12,500 रुपये की छूट मिलती है, जिससे 5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री हो जाती है।. साथ ही स्टैंडर्ड डिडक्शन भी 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये किया गया. इसके अलावा बैंक या डाकघरों में जमा पैसों पर मिलने वाले 40 हजार रुपये तक के ब्याज को टैक्स फ्री किया गया.
- 2020 के बजट में नई टैक्स स्कीम लाई गई, जिसमें किसी डिडक्शन का फायदा नहीं मिलता है, लेकिन टैक्स की दरें कम होती हैं.
- 2021 के बजट में सरकार ने 75 साल से अधिक की उम्र के पेंशनर्स को टैक्स रिटर्न फाइल करने से छूट दी. हालांकि एक शर्त भी रखी कि कमाई का जरिया या तो बैंक से मिलने वाला ब्याज या फिर पेंशन होनी चाहिए.
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