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मोदी सरकार आज पेश करेगी अंतरिम बजट, क्या किसानों और मध्यम वर्ग को मिलेगी राहत?

नोटबंदी और जीएसटी को लागू करने से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. बजट में इनके लिए प्रोत्साहन और ऋण की आसान शर्तो की घोषणा की जा सकती है.

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saketanand gyan
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मोदी सरकार आज पेश करेगी अंतरिम बजट, क्या किसानों और मध्यम वर्ग को मिलेगी राहत?

वित्त मंत्री पीयूष गोयल (फाइल फोटो : PTI)

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वित्त मंत्री पीयूष गोयल शुक्रवार को लोकसभा में अंतरिम बजट पेश करेंगे, जो कि लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार का पूर्ण बजट हो सकता है. इसमें मध्यम वर्ग और कॉर्पोरेट को कर छूट की उम्मीद है, जबकि संकटग्रस्त किसानों और लघु उद्यम क्षेत्र को राहत पैकेज की उम्मीद है.

गोयल को अरुण जेटली की जगह पर वित्त मंत्रालय का कार्यभार दिया गया है. जेटली फिलहाल अमेरिका में इलाज करा रहे हैं. माना जा रहा है कि गोयल विभिन्न श्रेणियों को छूट और राहत प्रदान कर इस बार लेखानुदान की परंपरा तोड़कर पूर्ण बजट पेश करेंगे.

सामान्यत: आम चुनावों से पहले अंतरिम बजट सिर्फ चार महीनों के लेखानुदान के लिए पेश किया जाता है, ताकि सरकारी कामकाज और पहले से चल रहे कार्यक्रम प्रभावित ना हो और नई सरकार पूर्ण बजट प्रस्तुत कर सके.

बिना पोर्टफोलियो के मंत्री अरुण जेटली ने पहले ही संकेत दिया था कि अंतरिम बजट परंपरा के अनुसार नहीं होगा, क्योंकि संकटग्रस्त कृषि क्षेत्र को राहत देने में देर नहीं की जा सकती और इसके लिए लेखानुदान पर्याप्त नहीं होगा.

हालांकि रिकार्ड के लिए सरकार ने बुधवार को कहा कि बजट को अंतरिम बजट 2019-20 कहा जाएगा, जबकि मीडिया में इसे 'आम बजट' बताया जा रहा है.

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अंतरिम बजट में मध्य वर्ग के करदाताओं के लिए आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये सालाना की जा सकती है. वहीं, कॉर्पोरेट कर को 30 फीसदी से घटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है.

कृषि क्षेत्र को छोटे और सीमांत किसानों के लिए 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का प्रत्यक्ष निवेश समर्थन दिया जा सकता है. वहीं, मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी द्वारा लागू की गई भावान्तर जैसी योजना केंद्र सरकार भी लागू कर सकती है. इसमें किसानों को फसल के बाजार मूल्य और उचित मूल्य के बीच के अंतर का भुगतान सरकार करती है.

नोटबंदी और जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) को लागू करने से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. बजट में इनके लिए प्रोत्साहन और ऋण की आसान शर्तो की घोषणा की जा सकती है.

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वहीं रेलवे की सुरक्षा और क्षमता बढ़ाने पर जोर देते हुए सरकार अधिक राशि खर्च कर सकती है. रेलवे में सुरक्षा बहुत बड़ी जरूरत है. पिछले साल वित्तमंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के लिए भारतीय रेल के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये आवंटित किया था. यह रेलवे के लिए अबतक का सबसे बड़ा आवंटन था.

रेल बजट की 92 साल पुरानी प्रथा को साल 2017 में बंद कर दिया गया था और इसका केंद्रीय बजट में विलय कर दिया गया था.

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Source : IANS

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