Budget 2024: जानें इन बजट टर्म को, पूरा समझ आएगा वित्त मंत्री सीतारमण का भाषण

अपने भाषण के दौरान वो कई ऐसे बजट टर्म का इस्तेमाल करती है जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं होती है. ऐसे में आप बजट का सही मतलब नहीं समझ पाते हैं. तो आज हम बताएंगे कि इन बजट टर्म का क्या मतलब है. 

अपने भाषण के दौरान वो कई ऐसे बजट टर्म का इस्तेमाल करती है जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं होती है. ऐसे में आप बजट का सही मतलब नहीं समझ पाते हैं. तो आज हम बताएंगे कि इन बजट टर्म का क्या मतलब है. 

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Vikash Gupta
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Interim Budget

Interim Budget( Photo Credit : NEWS NATION)

Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को संसद में अंतरिम बजट को पेश करेंगी. लोकसभा चुनाव इस साल के मध्य में होने वाले हैं. ऐसे में लाखों टैक्सपेयर्स इस अंतरिम बजट के पेश होने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि सरकार कुछ बड़े और टैक्स में राहत का ऐलान कर सकती है. इसके अलावा चुनावी साल होने की वजह से लोगों को उम्मीद है कि सरकार मंहगाई में राहत दे सकती है. वित्त मंत्री 1 फरवरी को बजट पेश करेंगी. अपने भाषण के दौरान वो कई ऐसे बजट टर्म का इस्तेमाल करती है जिसके बारे में आपको जानकारी नहीं होती है. ऐसे में आप बजट का सही मतलब नहीं समझ पाते हैं. तो आज हम बताएंगे कि इन बजट टर्म का क्या मतलब है. 

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1. टैक्स डिडक्शन- जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है. इसका मतलब होता है कि वो राशि जो टैक्सेबल अमाउंट में कमी कर देता है. इसे आपको टैक्स में कुछ राहत हो जाती है. जैसे- आपके पास 50 हजार का डिडक्शन प्राप्त है तो कुल टैक्सेबल अमाउंट में 50 हजार की कमी हो जाएगी. जब आप एनपीएस, पीएफ, पीपीएफ, पोस्ट ऑफिस और लाइफ इंश्योरेंस में निवेश करने से Under 80C के अंतर्गत अधिकतम 1.5 लाख का डिस्काउंट मिलता है.  

2. रिबेट: रिबेट कुल आयकर में कमी को कहा जाता है. जिस प्रकार डिडक्शन से टैक्सेबल अमाउंट में कमी होती है, उसी प्रकार रिबेट करदाताओं को छूट की राशि से अपने टैक्स को कम करने में सक्षम बनाती है. यह आम तौर पर करदाताओं के कर बोझ को कम करके आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है.

3. टैक्स पर सरचार्ज: सरचार्ज उन लोगों पर लगता है जिनकी आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है. यह देय कर पर लागू होता है न कि कुल आय पर. 30 प्रतिशत की कर दर पर 10 प्रतिशत का सरचार्ज लगाया जाता है. इस प्रकार कुल कर देनदारी 33 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. कुछ ऐसे प्रोडक्ट है जिस पर सरचार्ज लागू किया गया है जैसे प्रेट्रोल डीजल पर और अन्य समानों पर.

4. कर पर सेस: यह स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे विशिष्ट उद्देश्यों के लिए धन जुटाने के लिए आयकर पर लगाया जाने वाला कर का एक रूप है. वर्तमान में, सेस दर 4 प्रतिशत है और इस फ्लैट दर पर सभी आय स्लैब पर लागू है. कर देनदारी पर सरचार्ज समेत सेस लगाया जाता है. इसके अलावा प्रेट्रोलियम पदार्थ पर पर्यावरण सेस, रोड सेस, एजुकेशन सेस इत्यादी है. 

5. न्यू टैक्स रिजाईम: यह सात कर स्लैब वाली नई कर व्यवस्था है. इसे 2022 में रियायती कर दरों की पेशकश के साथ पेश किया गया था. 30 प्रतिशत की उच्चतम कर दर ₹15 लाख से ऊपर की आय पर लागू होती है लेकिन यह अधिकांश कर कटौती को समाप्त कर देती है. वित्तीय वर्ष 2023-24 में नई कर व्यवस्था डिफॉल्ट कर व्यवस्था बन गई. 

6. पुरानी कर व्यवस्था: यह चार कर स्लैब वाली पिछली कर व्यवस्था है. इसमें 10 लाख से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की उच्चतम कर दर  लागू होती है. यह व्यवस्था उन सभी कर कटौती की पेशकश जारी रखती है जिन्हें नई कर व्यवस्था में चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया गया है.

7. टीडीएस (Tax Deduction at Source): ये एक ऐसा टैक्स है जिसे आय के सोर्स पर ही लागू किया जाता है. उदाहरण के लिए किसी भी सरकारी और गैर सरकारी संस्था से किसी भी तरह का इनकम जेनरेट करते हैं तो ये टीडीएस के रूप में टैक्सेबल होगा. हालांकि इसे क्लेकशन करने का काम सिर्फ गवर्मेंट बॉडी के पास ही है.  

8. टैक्स सेविंग इंस्ट्रुमेंट: ये टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट हैं जिससे आप सही जगह पर निवेश कर या किसी अन्य तरीके से अपने टैक्सेबल अमाउंट को कम कर सकते हैं. जो करदाताओं को पीपीएफ, एनएससी और एनपीएस जैसे अपने आयकर में कटौती का दावा करने का अधिकार देते हैं. आपके लिए ये जानने बेहद जरूरी है कि इनमें से कई कटौतियों की अब नई कर व्यवस्था में अनुमति नहीं है.

9. टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस): स्रोत पर टैक्स कलेक्शन बिक्री के समय विक्रेता द्वारा खरीदार से बिक्री राशि के अलावा टैक्स के रूप में जमा की गई एक अतिरिक्त राशि है. इसे बाद में अथॉरिटी को भुगतान करना पड़ता है.उदाहरण के लिए, जो लोग एक वित्तीय वर्ष में ₹7 लाख से पैसा दूसरे देश से भारत अपने परिवार को भजते हैं तो उस स्थिति में उन्हें कुछ परिस्थितियों को छोड़कर 20 प्रतिशत टीसीएस का भुगतान करना पड़ता है.

10. वर्चुअल डिजिटल ऐसेट (वीडीए): ये डिजिटल संपत्ति हैं जो 2022 में पेश किए गए टैक्स स्लैब के अंतर्गत आती हैं. इसमें बिक्री और खरीद पर एक प्रतिशत टीडीएस और पूंजीगत लाभ पर 30 प्रतिशत शामिल है. वीडीए में बिटकॉइन, एथेरियम, डॉगकॉइन और अन्य जैसी डिजिटल मुद्राएं शामिल हैं.

Source : News Nation Bureau

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