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Budget 2022: बजट से किस क्षेत्र को कितनी उम्मीदें, जानें यहां

Budget 20221: 2021-22 में कुल 5.89 करोड़ टैक्सपेयर्स ने रिटर्न भरा है जिसमें सिर्फ 5% लोगों ने ही न्यू टैक्स रिजीम को चुना. यानी नए टैक्स स्लैब को लेकर इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स ज्यादा खुश नहीं लग रहे हैं.

Updated on: 31 Jan 2022, 08:12 PM

नई दिल्ली:

Budget 2022: 2021-22 में कुल 5.89 करोड़ टैक्सपेयर्स ने रिटर्न भरा है जिसमें सिर्फ 5% लोगों ने ही न्यू टैक्स रिजीम को चुना. यानी नए टैक्स स्लैब को लेकर इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स ज्यादा खुश नहीं लग रहे हैं. दूसरी तरफ 5 राज्यों में चुनाव भी होने वाले हैं. ऐसे में, इस बार के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन और होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट जैसे फायदे पुराने टैक्स रिजीम के साथ नए टैक्स रिजीम में भी जोड़ा जा सकता है. होम लोन से लेकर घर खरीदने पर प्रिंसिपल अकाउंट पर टैक्स छूट का फायदा सेक्शन 80C के तहत 1.50 लाख रुपये के निवेश पर पर मिलता है. लेकिन, टैक्सपेयर्स चाहते हैं कि प्रिंसिपल अकाउंट पर अलग से 1.50 लाख रुपये तक का सालाना डिडक्‍शन मिले. टैक्सपेयर्स की डिमांड है कि इनकम टैक्स छूट की मौजूदा सीमा को 2.50 लाख रुपये  से ऊपर बढ़ाई जाए. ताकि बढ़ती हुई महंगाई के बीच उन्हें थोड़ी राहत मिले.

बजट- कृषि क्षेत्र को उम्मीदें

किसानों की पहली मांग है कि डीजल-उर्वरक के रेट कम किए जाएं, फसलों के रेट सही मिलें,एमएसपी की गारंटी मिले. सरकार ने मार्च 2022 तक किसानो की आमदनी डबल करने का लक्ष्य रखा था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया है,अब लक्ष्य पूरा होने में दो महीने ही बाक़ी है, सरकार कृषि ऋण लक्ष्य अभी 16.5 करोड़ रु का है, इसे बढ़ाकर 18.5 करोड़ रु. किया जा सकता है. ज्यादा लोन का मतलब होगा कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को ऋण की मदद की जाए. यूपी में 1.7 करोड़ किसान परिवार खेती से जुड़े हैं

बजट-रेलवे उम्मीदें

इस बजट में 500 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की घोषणा की जा सकती है, जिसे सरकार द्वारा 'कायाकल्प' नाम दिया जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि सरकार रेलवे के बजट में 15 से 20 फीसदी का इजाफा करेगी. रेलवे अपनी कमाई बढ़ाने के लिए किराया बढ़ाने को छोड़कर अन्य उपायों पर भी विचार कर रहा है। कोविड के दौर में रेलवे की ज्यादातर कमाई माल ढुलाई से हुई। इसलिए रेलवे द्वारा अलग-अलग फ्रेट कॉरिडोर तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है। अब इसमें और तेजी लाई जा सकती है, जिससे यात्री ट्रेनों पर दबाव भी कम होगा। केंद्र सरकार आम यात्रियों से जुड़ी नई रेल सुविधाओं का ऐलान कर सकती है. हालांकि, रेलवे को पिछले एक साल में 26 हजार 338 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है, जबकि पिछले साल केंद्र सरकार ने रेलवे के लिए रिकॉर्ड 1,10,055 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. इस बार का रेल बजट करीब ढ़ाई लाख करोड़ रुपये के रहने की उम्मीद है.


बजट 2022 में रेलवे के लिए कई बड़ी घोषणाएं होने की संभावना है। इनमें मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट, वंदे भारत एक्सप्रेस का विस्तार और नए डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर्स शामिल हैं। इसके साथ ही दिल्ली-हावड़ा रूट पर बुलेट ट्रेन चलाने की घोषणा भी संभव है।

इसके अलावा गोल्डन क्वाड्रीलेटरल रूट पर सेमी हाई स्पीड ट्रेन भी चलाने की घोषणा भी की जा सकती है। वहीं बजट में सरकार सभी ट्रेनों से पुराने आईसीएफ कोच को हटाकर नए एलएचबी कोच लगाने का एलान भी कर सकती है।

बजट- रक्षा क्षेत्र उम्मीदें

2021-22 में रक्षा बजट के लिए 478195.62 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, जो कि वर्ष 2020-21 के मुकाबले करीब छह फीसद अधिक था। हालांकि रक्षा जानकार इस बजट को देश की सुरक्षा और सेना के आधुनिकीकरण के लिए नाकाफी मानते हैं। चीन और पाकिस्‍तान का मुकाबला करने के लिए सेना के आधुनिकीकरण को एक बड़े बजट की दरकार है। फिलहाल में देश का रक्षा बजट जीडीपी के मुकाबले दो फीसद भी नहीं है। देश की सुरक्षा और सेना की मजबूती के लिए इसको इससे करीब दस गुना अधिक करने की जरूरत है। अभी रक्षा खर्च जीडीपी का करीब 2 फ़ीसदी हिस्सा है, जबकि जानकार चाहते हैं कि यह 3 फ़ीसदी के करीब हो। इस बार उम्मीद की जा रही है कि रक्षा क्षेत्र के लिए 5 लाख करोड़ रुपये के बजट का एलान हो सकता है

बजट- हेल्थ सेक्टर - उम्मीदें

2022-23 के लिए केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र पर इस बार भी सरकार का विशेष जोर होने की उम्मीद जताई जा रही है। फार्मा उद्योग को उम्मीद है कि इस बजट में हेल्थकेयर सेक्टर के लिए कुल फंड आवंटन में बढ़ोतरी की जाएगी।

घरेलू फार्मास्युटिकल्स उद्योग का मानना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट 2022 में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए आवंटन बढ़ाने, शोध एवं विकास गतिविधियों को प्रोत्साहन और विभिन्न दवाओं पर कर छूट को जारी रखने जैसे कदम उठाएंगी। इसके अलावा उद्योग विभिन्न प्रक्रियाओं का सरलीकरण भी चाहता है, जिससे निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए कारोबार सुगमता की स्थिति बेहतर हो सकेगी। भारतीय फार्मास्युटिकल्स उत्पादकों के संगठन (ओपीपीआई) की मांग है कि बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन सकल घरेलू उत्पाद के मौजूदा 1.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 से तीन प्रतिशत किया जाना चाहिए