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Budget 2022: वित्त विधेयक, GDP, पूंजीगत व्यय जैसे बजट से जुड़े कठिन शब्दों को आसान भाषा में समझिए

Budget 2022: बजट में होने वाली घोषणाओं पर सभी की नजर रहती है, लेकिन बजट भाषण के दौरान कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिसको सभी व्यक्ति नहीं समझ पाते हैं.

Updated on: 27 Jan 2022, 11:22 AM

highlights

  • मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट 1 फरवरी 2022 को पेश करेगी
  • केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चौथी बार आम बजट पेश करेंगी

नई दिल्ली:

Budget 2022: केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार अपने दूसरे कार्यकाल का चौथा बजट 1 फरवरी 2022 को पेश करने जा रही है. केंद्रीय वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) भी चौथी बार आम बजट (Union Budget 2022-23) पेश करेंगी. बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 5 जुलाई 2019 को पहली बार आम बजट पेश किया था. गौरतलब है कि बजट में होने वाली घोषणाओं पर सभी की नजर रहती है, लेकिन बजट भाषण के दौरान कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिसको सभी व्यक्ति नहीं समझ पाते हैं. ऐसे में आज हम बजट भाषण में शामिल कठिन शब्दावलियों को आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे ताकि आपको बजट (Budget Trivia) आसानी से समझ में आ जाए.

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आम बजट की शब्दावली (Budget Glossary)

  • बजट लेखा-जोखा: केंद्र सरकार द्वारा वित्त वर्ष के दौरान विभिन्न करों से प्राप्त राजस्व (आय) और खर्च के आकलन को बजट लेखा-जोखा कहते हैं.
  • संशोधित लेखा-जोखा: बजट में किए गए आकलन और मौजूदा आर्थिक परिस्थिति को देखते हुए इनके वास्तविक आंकड़ों के बीच के अंतर को संशोधित लेखा-जोखा कहते हैं. संशोधित लेखा जोखा का जिक्र आगामी बजट में किया जाता है.
  • सकल घरेलू उत्पाद (GDP): किसी भी देश की घरेलू सीमा के भीतर किसी एक साल में उत्पादित की गई सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्यों के समग्र योग को सकल घरेलू उत्पाद या GDP कहा जाता है.
  • सकल राष्ट्रीय उत्पाद (GNP): एक साल के दौरान तैयार सभी उत्पाद और सेवाओं के सम्मिलित बाजार मूल्य और स्थानीय नागरिकों द्वारा विदेशों में किए गए निवेश के जोड़ को, विदेशी नागिरकों द्वारा स्थानीय बाजार से अर्जित लाभ में घटाने से प्राप्त रकम को सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं.
  • वित्त विधेयक (Finance Bill): नए कर लगाने, कर प्रस्तावों में परिवर्तन या मौजूदा कर ढांचे को जारी रखने के लिए संसद में प्रस्तुत किए गए विधेयक को वित्त विधेयक कहा जाता है.
  • विनियोग विधेयक (Appropriation Bill): सरकार द्वारा संचित निधि से रकम निकासी को मंजूरी दिलाने के लिए संसद में प्रस्तुत विधेयक विनियोग विधेयक कहलाता है.
  • वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit): वित्तीय घाटा के तहत सरकार जितनी कमाई करती है. मतलब यह कि टैक्स आदि के जरिए जितना भी पैसा वसूल करती है, अगर वह उससे ज्यादा खर्च कर देती है तो कमाई और खर्च के बीच के अंतर को ही वित्तीय घाटा कहा जाता है.
  • राजस्व प्राप्ति (Revenue Receipts): केंद्र सरकार द्वारा वसूले गए सभी प्रकार के कर और शुल्क, निवेशों पर प्राप्त ब्याज, लाभांश और विभिन्न सेवाओं के बदले हासिल की गई रकम को राजस्व प्राप्ति कहा जाता है.
  • राजस्व व्यय (Operating Expense): विभिन्न सरकारी विभागों और सेवाओं पर खर्च, ऋण पर ब्याज की अदायगी और सब्सिडियों पर होने वाले व्यय को राजस्व व्यय कहते हैं. राजस्व व्यय करों, शुल्कों, फ़ीसों, जुर्माना आदि प्रकार की मदों से किए जाते हैं.
  • विनिवेश (Disinvestment): सार्वजनिक उपक्रमों (PSU) में सरकार की हिस्सेदारी बेचने की प्रक्रिया को विनिवेश कहते हैं
  • राष्ट्रीय ऋण (Government Debt): केंद्र सरकार के राजकोष में शामिल कुल ऋण को राष्ट्रीय ऋण कहा जाता है. वित्तीय बजट घाटे को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा यह ऋण लिया जाता है.
  • संचित निधि कोष (Consolidated Fund): सरकार को प्राप्त सभी राजस्व, बाजार से लिए गए ऋण और स्वीकृत ऋणों पर प्राप्त ब्याज संचित निधि में जमा होते हैं.
  • आकस्मिक निधि कोष (Contingency Fund): इस कोष का निर्माण इसलिए किया जाता है, ताकि जरूरत पड़ने पर आकस्मिक खर्चों के लिए संसद की स्वीकृति के बिना भी राशि निकाली जा सके.
  • पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure): सरकार की परिसंपत्तियों में बढ़ोतरी करने वाले खर्चों को पूंजीगत व्यय माना जाता है, जैसे पुल, सड़क निर्माण आदि.
  • पूंजीगत प्राप्ति : इसमें सरकार द्वारा बाजार से लिए गए ऋण, भारतीय रिजर्व बैंक से ली गई उधारी और विनिवेश के ज़रिये प्राप्त आमदनी को शामिल किया जाता है.
  • डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर-Direct Tax): डायरेक्ट टैक्स दरअसल वह टैक्स है जिसे सरकार द्वारा वसूला जाता है. मतलब आपने अगर कमाई की है तो यह टैक्स देना होगा. इनकम टैक्स, व्यवसाय से आय पर कर, शेयर या दूसरी संपत्तियों से आय पर कर, प्रॉपर्टी टैक्स आदि डायरेक्ट टैक्स में ही आते हैं.
  • इनडायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर-Indirect Tax): इस टैक्स को आपसे सीधे तौर पर नहीं वसूला जाता है. आपसे इस टैक्स को किसी और रूप में वसूला जाता है. देश में तैयार किए गए वस्तुओं पर लगने वाला उत्पादन शुल्क, आयात या निर्यात किए जाने वाले वस्तुओं पर लगने वाले सीमा शुल्क आदि अप्रत्यक्ष कर हैं. जैसे service tax, केंद्रीय उत्पाद शुल्क, सीमा शुल्क आदि.
  • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI): किसी एक देश की कंपनी का दूसरे देश में किया गया निवेश प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कहलाता है. ऐसे निवेश से निवेशकों को दूसरे देश की उस कंपनी के प्रबंधन में कुछ हिस्सा हासिल हो जाता है जिसमें उसका पैसा लगता है.
  • सेक्शन 80C: इंश्योरेंस, सीपीएफ, जीपीएफ, पीपीएफ, नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC), टैक्स बचाने वाले म्यूचुअल फंड, पांच साल से ज़्यादा की FD, होम लोन के प्रिंसिपल (मूलधन) जैसे ऑप्शन में निवेश के जरिए सेक्शन 80C के तहत टैक्स को बचाया जा सकता है. इस सेक्शन में डेढ़ लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स में छूट दिया जाता है.
  • एक्साइज ड्यूटी (Excise Duty): एक्साइज टैक्स या एक्साइज ड्यूटी ऐसा टैक्स है जो देश के अंदर उत्पादों के प्रोडक्शन और बिक्री पर लगता है. इस टैक्स को सेंट्रल वैल्यू ऐडेड टैक्स (CENVAT) के नाम से जानते हैं. कंपनियों को फैक्ट्री में से सामान निकालने से पहले इसे भरना जरूरी है. सरकार इस टैक्स के जरिए अच्छी खासी कमाई करती है.
  • औद्योगिक कर: औद्योगिक कर औद्योगिक प्रतिष्ठानों पर लगाए जाने वाला कर है. यह उस प्रतिष्ठान के मालिक पर लगाए गए व्यक्तिगत कर से अलग होता है.