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Budget 2020: बजट में इन उपायों को करके मंदी से लड़ी जा सकती है लड़ाई

Budget 2020: सरकार (Modi Government) के सामने आर्थिक ग्रोथ (GDP Growth) महंगाई, बेरोजगारी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि क्षेत्र को लेकर काफी चुनौतियां हैं.

Updated on: 17 Jan 2020, 12:14 PM

नई दिल्ली:

Budget 2020: बजट को पेश होने में अब ज्यादा दिन नहीं रह गए हैं. वहीं आने वाले बजट (Union Budget 2020-21) में क्या-क्या घोषणाएं हो सकती हैं और आम आदमी को क्या मिल सकता है इसको लेकर अभी से चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं. बता दें कि मौजूदा सरकार (Modi Government) के सामने आर्थिक ग्रोथ (GDP Growth) महंगाई, बेरोजगारी, इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि क्षेत्र को लेकर काफी चुनौतियां हैं. ऐसे में सरकार को इन सभी मुद्दों को हल करने के लिए बजट में कई घोषणा करनी पड़ेंगी. आज की इस रिपोर्ट में हम मंदी से लड़ने के उपायों के बारे में चर्चा करने की कोशिश करेंगे.

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साढ़े 6 साल के निचले स्तर पर है जीडीपी ग्रोथ
मौजूदा समय में देश की जीडीपी ग्रोथ साढ़े 6 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई है. वहीं महंगाई भी 5 साल के ऊपरी स्तर पर पहुंच गई है. मतलब यह हुआ कि अर्थव्यवस्था के ऊपर दोहरी मार पड़ी है. जानकारों का कहना है कि ग्रोथ को बढ़ाने के लिए अगर ब्याज दरें कम की जाती हैं तो महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में अब सभी की नजर आगामी बजट पर है कि उसमें ग्रोथ को पटरी पर लाने के साथ ही महंगाई को काबू में करने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक, और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) समेत दुनिया की कई बड़ी एजेंसियों ने भारत की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth Rate) के अनुमान को घटा दिया है.

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जानकारों का कहना है कि देश में निवेश की रफ्तार काफी धीमी हो गई है. मौजूदा स्थितियों को देखते हुए बैंक कर्ज देने से कतरा रहे हैं. खपत की ग्रोथ, मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि, इंडस्ट्रियल ग्रोथ भी काफी घट गई है. एक्सपोर्ट और इंपोर्ट भी लगातार कम हो रहा है. इसके अलावा जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े भी उत्साहवर्धक नहीं है. साथ ही इंडिविजुअल्स के लिए टैक्स में कटौती जैसे कदम से टैक्स कलेक्शन को बढ़ाना मोदी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी.

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कई कंपनियों के डिफॉल्ट से क्रेडिट ग्रोथ को झटका
पिछले कुछ समय में कई कंपनियां डिफाल्ट हो गई हैं जिसकी वजह से क्रेडिट ग्रोथ को काफी झटका लगा है. बैंकों के बढ़ते NPA और NBFCs में समस्याओं की वजह से भी क्रेडिट ग्रोथ पर नकारात्मक असर पड़ा है. हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि क्रेडिड ग्रोथ (लोन देने की ग्रोथ) 58 साल के निचले स्तर पर पहुंच चुकी है. इन हालात की वजह से उद्योग को पैसे जुटाने के लिए काफी दिक्कत हो रही है. आगामी बजट में खर्च बढ़ाने की कोशिश पर रहने की उम्मीद है. दरअसल, खर्चों का आवंटन आमदनी और रकम जुटाने की क्षमता के आधार पर ही तय होगा. नकदी की किल्लत को दूर करने के साथ ही सरकार के सामने मांग बढ़ाने की सबसे बड़ी चुनौती है.

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इंडिविजुअल टैक्स पेयर्स को मिल सकती है राहत
जानकारों का कहना है कि बजट में इंडिविजुअल टैक्स पेयर्स को बड़ी राहत मिल सकती है. सेक्शन 80C के तहत मिलने वाली छूट को और बढ़ाया जा सकता है. सेक्शन 80C कैटेगरी के तहत निवेश पर टैक्स छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये तक किया जा सकता है.

शेयर मार्केट से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को हटाने की मांग
शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को हटाने की मांग है. इसके अलावा कंपनियों के ऊपर लगने वाले डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स को भी घटाने की मांग निकलकर सामने आ रही है.

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कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (CTT) खत्म करने की मांग
कमोडिटी बाजार से कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (CTT) खत्म करने की मांग लगातार की जा रही है. जानकारों का कहना है कि सीटीटी खत्म होने से कमोडिटी मार्केट में आधी हो चुकी वॉल्यूम को वापस बढ़ाया जा सकेगा. इसके अलावा सोने पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी को भी घटाने की मांग तेज हो गई है.