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Budget 2020: केजरीवाल, सीताराम येचुरी समेत इन नेताओं ने बजट को बताया फुस

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को संसद में मोदी सरकार का दूसरा बजट पेश किया.

Updated on: 01 Feb 2020, 11:55 PM

नई दिल्ली:

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को संसद में मोदी सरकार का दूसरा बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने दूसरे आम बजट में भले ही तमिल कवि तिरुवल्लुवर की कविता का जिक्र कर पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफों के पुल बांधे हों, लेकिन विपक्ष को उनका यह अंदाज समेत पेश किया बजट कतई रास नहीं आया है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस बजट को दिशाहीन बताया है. इसके अलावा ही टीएमसी, आम आदमी पार्टी और माकपा ने बजट पर कटाक्ष किया है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को पेश आम बजट को लेकर दावा किया कि इससे साबित होता है कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की उम्मीद छोड़ चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि इस बजट में रोजगार सृजन को लेकर कुछ नहीं कहा गया है.

पी चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा कि मैंने हाल के वर्षों का सबसे लंबा बजट भाषण देखा. यह 160 मिनट तक चला. मुझे समझ नहीं आया कि बजट 2020-21 से क्या संदेश देने का इरादा था. उन्होंने कहा कि मुझे इस बजट में कोई यादगार विचार या बयान नहीं दिखा. पूर्व वित्त मंत्री ने दावा किया कि सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने, निजी निवेश को प्रोत्साहित करने और रोजगार के अवसर पैदा करने की उम्मीद छोड़ चुकी है.

उन्होंने कहा कि सरकार यह नहीं मान रही है कि अर्थव्यवस्था संकट में है. सरकार सुधार में यकीन नहीं करती. चिदंबरम ने सवाल किया कि क्या वित्त मंत्री ने आर्थिक समीक्षा नहीं पढ़ी? मुझे लगता है कि नहीं पढ़ी. जनता ऐसा बजट नहीं चाहती थी और इस बजट के लिए भाजपा को वोट नहीं दिया था. वित्त मंत्री सीतारमण ने शनिवार को संसद में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट पेश किया.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सदस्य शशि थरूर ने बजट में कर में कटौती को एकमात्र सकारात्मक पहलू बताते हुए कहा कि इससे मध्यवर्ग को राहत मिलेगी, इसके अलावा पूरा बजट दिशाहीन है. थरूर ने शनिवार को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा लोकसभा में वित्त वर्ष 2020-21 के लिए बजट पेश किए जाने के बाद संसद भवन परिसर में प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में शायद एकमात्र अच्छी बात जो हो सकती है वह मध्यवर्ग के लिए कर में कटौती करना है. इससे 12.5 लाख रुपये से कम सालाना आय वालों को थोड़ी राहत मिलेगी. इसके अलावा पूरे बजट में हमें ऐसा कुछ भी नहीं सुनाई दिया जो ऊर्जा दे सके.

शशि थरूर ने कहा कि यह बजट निराश करने वाला है, शायद यही वजह है कि संसद में भाजपा की तरफ से भी बजट पर ताली बजाने वाला कोई नहीं था. उल्लेखनीय है कि बजट में 2.5 लाख रुपये तक की आय पहले की तरह मुक्त रखी गई है, जबकि 2.5 से पांच लाख तक की आय पर पांच प्रतिशत की दर से कर लगेगा. पांच से साढ़े सात लाख रुपये तक की आय पर 10 प्रतिशत, साढ़े सात से 10 लाख रुपये तक की आय पर 15 प्रतिशत, 10 से 12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 से 15 लाख रुपये तक की आय पर 25 प्रतिशत की दर से आयकर का प्रस्ताव किया गया है. पंद्रह लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगाने का प्रस्ताव है.

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बजट को दिशाहीन बताते हुए कहा है कि वित्त मंत्री ने इस दशक का पहला दिवालिया बजट पेश किया है. अखिलेश ने शनिवार को लोकसभा में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट पेश किए जाने के बाद संसद भवन परिसर में बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हमें उम्मीद नहीं है कि इस बजट से किसानों के जीवन में कोई बदलाव आएगा, गरीब के परिवार में कोई खुशहाली आएगी. उन्होंने कहा कि बजट में नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर सृजित करने के कोई प्रावधान नहीं किए गए हैं. उत्तर प्रदेश को बजट में नजरंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में निवेश के लिए आयोजित सम्मेलन में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री आए लेकिन इसके बावजूद कोई निवेश नहीं आया. अखिलेश ने वित्त मंत्री के लंबे बजट भाषण पर तंज कसते हुए कहा कि यह लोगों को भ्रमित करने का एक तरीका था. उन्होंने कहा कि यह बजट इतना बड़ा इसीलिए था कि लोग समझ न पाएं. लोग उलझे रहें.

तृणमूल कांग्रेस ने बजट में कर छूट के प्रस्ताव पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि देश में सामाजिक सुरक्षा के अभाव में कर छूट बेमानी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बजट पेश करते हुए कर छूट के दायरे में कटौती करने की घोषणा करते हुए पांच से साढ़े सात लाख रुपये सालाना आय के लिए 20 प्रतिशत कर सीमा को घटाकर 10 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया है. तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य एवं पार्टी के प्रवक्ता डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर कहा कि टैक्स कट की गोली मत दो, कर छूट को बारीकी से देखें. सरकार ने ऐसे देश में जहां सामाजिक सुरक्षा नहीं है, बचत पर मिलने वाली प्रोत्साहन राशि हटा दी है. उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत कर छूट वापस ले ली गई है. यह छूट पीपीएफ, एलआईसी और स्वास्थ्य बीमा आदि से पैसे की बचत पर प्रोत्साहन राशि के रूप में मिलती थी.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बजट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली की बजट से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन इसके साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया गया है. भाजपा की प्राथमिकताओं में दिल्ली शामिल नहीं, लोग उसे वोट क्यों दें. वहीं, तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने कहा कि सरकार ने ऐसे देश में बचत के लिए प्रोत्साहन को हटाया जहां सामाजिक सुरक्षा नहीं है. कर में मिलने वाली 100 में से 70 छूटों को वापस लिया है.

माकपा ने केंद्रीय बजट की आलोचना करते हुए कहा कि इसमें सिर्फ बेकार की बातें हैं और यह लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं करता है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इसमें लोगों की दिक्कतें दूर करने के लिए कुछ नहीं किया गया. उन्होंने ट्वीट किया कि सिर्फ बेकार की बातें और जुमले हैं. इसमें लोगों की दिक्कतें दूर करने, बढ़ती बेरोजगारी, गांवों में मजदूरी भुगतान संकट, परेशान किसानों की आत्महत्या करने जैसी समस्याओं का कोई ठोस समाधान नहीं है.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के भाषण को बहुत लंबा बताया. उन्होंने कहा कि इसमें नया कुछ भी नहीं था. उन्होंने आरोप लगाया कि बजट में कुछ भी ठोस नहीं था. सबसे बड़ा मसला बेरोजगारी है. मुझे नहीं लगता है कि सरकार के पास कोई ठोस ऱणनीति है जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके. सिर्फ दांव-पेंच ही अधिक है, लेकिन ठोस कुछ नहीं है. वास्तव में यह बजट सरकार के चाल-चरित्र ही को पेश करता है. सिर्फ बातें-बातें और जमीन पर कुछ नहीं.

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कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट करके कहा कि दुश्मन न करे दोस्त ने जो काम किया है, सालभर का गम, गरीबों पर जुल्मो सितम, फिर से जनता को इनाम दिया है. वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि निर्मला सीतारमण बजट का गणित समझाने में विफल रही हैं. 4.8% की जीडीपी वृद्धि के साथ 2024 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य एक पाइप ड्रीम है.