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Budget 2020: सरकारी आंकड़ों की कलई खोलता है वैकल्पिक सर्वे

बजट में कुछ सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी भी की जाती है. सरकारी आंकड़े की इसी बाजीगरी की कलई खोलता है वैकल्पिक सर्वें. इसका मतलब है कि सरकार आम आदमी से जो सच छुपाता है उसे वैकल्पिक सर्वे सामने लाता है.

Updated on: 20 Jan 2020, 12:59 PM

नई दिल्ली:

1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट (Union Budget 2020-21) को अंतिम रूप दिया जा रहा है. इस बार भी जनता ने सरकार से टैक्स छूट की उम्मीद की है. सरकार हर साल बजट में कुछ चीजों को सस्ता तो कुछ पर टैक्स बढ़ा देती है. बजट में कुछ सरकारी आंकड़ों की बाजीगरी भी की जाती है. सरकारी आंकड़े की इसी बाजीगरी की कलई खोलता है वैकल्पिक सर्वें. इसका मतलब है कि सरकार आम आदमी से जो सच छुपाता है उसे वैकल्पिक सर्वे सामने लाता है.

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वैकल्पिक सर्वे हर साल मई जून तक आता है. वैकल्पिक आर्थिक सर्वेक्षणकर्ताओं की टीम सरकारी आंकड़ों का विश्लेषण करती है और उनकी पुनर्व्याख्या करती है. यह विश्लेषण पूरी तरह आम आदमी को ध्यान में रख कर किया जाता है. अमूमन सरकार जो नीतियां बनाती है वह अमीरों का फायदा करने वाली होती है. जबकि वैकल्पिक सर्वे आम आदमी के लिए होता है. सरकार कहती है कि समृद्धि बढ़ रही है क्योंकि कारें खूब बिक रही हैं. जबकि वैकल्पिक सर्वे के अनुसार कारों का बिकना समृद्धि का परिचायक नहीं है. काफी लोग तो ऋण लेकर कारें खरीदते हैं.

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इन कारों की वजह से प्रदूषण होता है. प्रदूषण से बहुत सी बीमारियां बढ़ रहीं हैं. यानि आम आदमी को अपने स्वास्थ्य पर काफी खर्च करना पड़ेगा. पहले बच्चों को अस्थमा बहुत कम होता था लेकिन अब बहुत होने लगा है. इसके अलावा कारें ज्यादा हैं इसलिए सड़कें छोटी पड़ रहीं हैं. पहले आपको एक-स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए पहले 20-25 मिनट लगते थे लेकिन अब 50 से 55 मिनट लगते हैं. इसका मतलब आपको ईधन पर और खर्च करना पड़ रहा है. इसलिए जब सरकार अपना आर्थिक सर्वे लाती हैं तो उसमें से उन चीजों को रिपोर्ट के बाद हटा दिया जाता है जिससे बाजीगरी का खुलासा होता है. इसका एक मात्र मकसद आम आदमी के हित के लिए होता है.