Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 23 जुलाई को सुबह 11 बजे लोकसभा में केंद्रीय बजट 2024 पेश करेंगी. बजट सत्र 22 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त 2024 तक चलेगा. मालूम हो कि, केंद्रीय बजट का एक समृद्ध इतिहास है, जिसकी शुरुआत होती है साल 1947 से, जब आरके शनमुखम चेट्टी (RK Shanmukham Chetty) ने स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया था. इसके बाद से हमारे देश ने कई ऐतिहासिक बजट देखे हैं, जिन्होंने न सिर्फ देश की अर्थव्यवस्था को, बल्कि पूरे भारत देश को बदल दिया...
भारत के 5 ऐतिहासिक बजट
1. साल 1957-58 का बजट
टीटी कृष्णामाचारी के 1957-58 के बजट में संपत्ति कर सहित अभूतपूर्व कर सुधार पेश किए गए. यह कर व्यक्तिगत संपत्ति के कुल मूल्य पर लगाया गया था, जो भारत की कर नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक था. 2015 में समाप्त होने तक संपत्ति कर विभिन्न रूपों में भारतीय कर प्रणाली का हिस्सा बना रहा.
2. साल 1991-92 का बजट
मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत 1991 के केंद्रीय बजट का उद्देश्य देश के सामने मौजूद गंभीर आर्थिक संकट को दूर करना था. सिंह ने सीमा शुल्क को 220 प्रतिशत से घटाकर 150 प्रतिशत कर दिया, जिससे भारतीय व्यापार विश्व स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी हो गया. उन्होंने, प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार के तहत, सरकारी नियंत्रण को कम करने और आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए अभूतपूर्व उदार नीतियां भी पेश कीं. इस ऐतिहासिक बजट का गहरा प्रभाव पड़ा, दुनिया भर में भारत की प्रतिष्ठा में सुधार हुआ और "लाइसेंस राज" समाप्त हुआ. इस बजट ने विदेशी निवेश को भी आकर्षित किया, आर्थिक आत्मविश्वास बढ़ाया और भारत को एक प्रमुख आर्थिक शक्ति बनने का मार्ग प्रशस्त किया.
3. साल 1997-98 का बजट
नरसिम्हा राव कैबिनेट में मनमोहन सिंह के अधीन काम करने वाले पी. चिदंबरम ने 1997 की बजट प्रस्तुति में अपनी आर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञता का प्रदर्शन किया था. विशेषज्ञों द्वारा "ड्रीम बजट" करार दिया गया बजट, व्यक्तिगत आयकर और कॉर्पोरेट कर को कम करने के लिए महत्वपूर्ण था. पी. चिदम्बरम ने व्यक्तिगत और कॉर्पोरेट करों दोनों में महत्वपूर्ण कटौती की, उच्चतम व्यक्तिगत आयकर दर को 40 प्रतिशत से घटाकर 30 प्रतिशत कर दिया. अधिभार के उन्मूलन और रॉयल्टी दरों में कमी के साथ समूहीकृत इस कदम ने करदाताओं को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की और इसे भारत के सबसे बेहतरीन बजटों में से एक बनाया.
4. साल 2000-01 का बजट
अटल बिहारी वाजपेई के शासनकाल में यशवन्त सिन्हा ने ऐतिहासिक बजट पेश किया. सिन्हा के बजट ने कंप्यूटर सहित 21 वस्तुओं पर सीमा शुल्क कम करके आईटी क्षेत्र में क्रांति ला दी. इससे उद्योग में तेजी आई, जिससे भारत आईटी विकास का केंद्र बन गया.
5. साल 2016-17 का बजट
2017-18 में अरुण जेटली के बजट ने केंद्रीय बजट और रेलवे बजट प्रस्तुतियों को विलय करके एक ऐतिहासिक बदलाव को चिह्नित किया, जिससे 92 वर्षों की लंबी परंपरा समाप्त हो गई. वित्त मंत्री के रूप में, अरुण जेटली ने एकीकृत बजट पेश करके इस प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया, जो तब से मानक अभ्यास बन गया है.
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Source : News Nation Bureau