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एक हजार के नोट बैन करने के बाद 2000 के नोटों पर मोदी सरकार की नजर! पढ़ें पूरी खबर

सरकार ने 1000 रुपये का नोट बंद करने के बाद 2000 का शुरू कर दिया था जिसपर उस समय सवाल उठे थे. अब पिछले कुछ समय दो हजार के नोट भी बंद करने की चर्चा चल रही है. तो क्या देश में 2000 के नोट बंद होने जा रहे हैं.

Updated on: 16 Mar 2021, 05:11 PM

highlights

  • मोदी सरकार अब 2 हजार के नोट करेगी बैन!
  • साल 2016 में  बैन हुए थे 1 हजार के नोट
  • अनुराग ठाकुर ने संसद में दिया बयान

नई दिल्ली:

8 नवंबर साल 2016 में मोदी सरकार द्वारा की गई ऐतिहासिक नोटबंदी के बाद 500 और एक हजार रुपयों के नोट बंद कर दिए गए थे. इसकी वजह मोदी सरकार ने बताई थी कि इन नोटों की वजह से काले धन का चलन ज्यादा था. सरकार ने 1000 रुपये का नोट बंद करने के बाद 2000 का शुरू कर दिया था जिसपर उस समय सवाल उठे थे. अब पिछले कुछ समय दो हजार के नोट भी बंद करने की चर्चा चल रही है. तो क्या देश में 2000 के नोट बंद होने जा रहे हैं, क्या 2000 के नोट को लॉन्च करके सरकार पछता रही है? या फिर 2000 के नोट कालाबाज़ारी की भेंट चढ़ चुके हैं या फिर ब्लैकमनी में 2000 के नोट को खपाया जा रहा है.

आपको बता दें कि इसी वजह से 2000 के नोट बाज़ार, एटीएम, बैंक से गायब होते जा रहे हैं. इस सवाल पर रोशनी डालने से पहले आपको बता देें कि सोमवार को वित्त राज्य मंत्री का संसद में इस सवाल का जवाब देते हुए बताया कि 2000 के नोट पिछले 2 साल से छपे ही नहीं हैं. 2000 के नोट 2 साल से नहीं छपे हैं जिसके कई मायने समझे जा सकते हैं लेकिन यहां हम किसी अफवाह की बात नहीं करना चाहते बल्कि आपको तथ्यों के साथ बताना चाहते हैं कि 2000 के नोट को सरकार क्यों लेकर आई और इतनी जल्दी 2000 के नोट से मोह भंग क्यों हो गया.

दरअसल जानकारों की माने तो कोई भी करंसी नोट सर्कुलेशन के आधार पर कम ज्यादा छापा जाता है या उस पर रोक लगाई जाती है. आंकड़ों की माने तो आरबीआई ने नवंम्बर 2016 से दिसंबर 2017 तक 3543 मिलियन नोट छापे थे. जो 2017-18 में घटकर करीब 111 मिलियन रह गए यही नहीं इसमें कमी जारी रही और 2018-19 में 2000 के नोट लगभग 47 मिलियन ही छापे गए और अप्रैल 2019 के बाद से 2000 के नोट का छापा ही नहीं गया. 

आरबीआई के मुताबिक, मार्च 2018 में 2000 रुपये के 3.37 फीसदी नोट 37.26 फीसदी मूल्य के नोट सर्कुलेशन में थे. 26 फरवरी 2021 को 2499 मिलियन पीस 2000 के नोट सर्कुलेशन में था तो जो घटकर 2.01 फीसदी नोट और 17.78 फीसदी मूल्य के नोट सर्कुलेशन में रह गए. तो क्या इससे ये समझा जाए कि 2000 के नोट अब कालेधन को खपाने में इस्तेमाल होने लगा है...क्या इसकी होल्डिंग शुरू हो चुकी है जिसका अंदेशा था...जानकार मानते हैं कि सरकार को 2000 के नोट छापने में तो सस्ते पड़ते हैं लेकिन इसे कालेधन में खपाना आसान होता है.

सरकार ने माना कि 2000 के नोट 2 साल से नहीं छप रहे हैं हमारे संवाददाता ने इसके लिए एक एटीएम का भी रुख किया कि क्या 2000 के नोट एटीएम में मिल रहे हैं या नहीं. आपको बता दें कि इस आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा है, क्योंकि राज्य वित्तमंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद में बताया है कि दो साल से 2000 का एक भी नया नोट नहीं छापा गया है. बैंक नोटों की छपाई का फैसला जनता की लेन-देन की मांग को पूरा करने के लिए रिजर्व बैंक की सलाह पर लिया जाता है. 2019-20 और 2020-21 में 2000 रुपये के नोटों की छपाई का ऑर्डर नहीं दिया गया.