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RBI Action: रिजर्व बैंक का IIFL फाइनेंस और JM फाइनेंशियल पर एक्शन, जानें पूरी कहानी

केंद्रीय बैंक ने आईआईएफएल फाइनेंस को 4 मार्च 2024 को गोल्ड लोन बांटने और स्वीकार करने पर रोक लगा दी थी.

Updated on: 24 Mar 2024, 05:46 PM

नई दिल्ली:

RBI Action: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों पर एक्शन लेने की तैयारी कर रही है. रिजर्व बैंक ने IIFL फाइनेंस लिमिटेड और JM फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड (JMFPL) का स्पेशल ऑडिट करने जा रही है. इसके लिए ऑडिटर की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आपको बता दें कि इन दो कंपनियों पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगा है. जिसके बाद केंद्रीय बैंक की तरफ से ऐसा फैसला किया गया है. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक के एक्शन के बाद से ही कंपनी के शेयर के दाम लगातार गिर रहे हैं.  

भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा दो नॉन बैंकिंग फाइनेंसियल कंपनियों (NBFCs) के स्पेशल ऑडिट के लिए ऑडिटर की नियुक्ति की जाएगी. इसके लिए दो अलग-अलग टेंडर जारी किया गया है. टेंडर के मुताबिक ऑडिट के लिए वैसी कंपनियां भाग ले सकती हैं जो सेबी द्वारा रजिस्टर्ड ऑडिट फर्म है. इसके साथ ही इस प्रक्रिया में भाग लेने की अंतिम तारीख 8 अप्रैल है वहीं, 12 अप्रैल को शॉर्टलिस्टेड फर्म को काम की जिम्मेदारी दी जाएगी. आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने मार्च की शुरुआत में ही रेगुलेटरी द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन न करने पर आईआईएफएल फाइनेंस और जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स पर बैन लगा दिया था.

कंपनी में गड़बड़ी

केंद्रीय बैंक ने आईआईएफएल फाइनेंस को 4 मार्च 2024 को गोल्ड लोन बांटने और स्वीकार करने पर रोक लगा दी थी. इसमें पाया गया था कि कंपनी के पास रखें गोल्ड में मिलावट है और वजन में भी गड़बड़ी की शिकायत मिली थी. जिसके बाद ये एक्शन ले लिया गया है. इस संबंध में रिजर्व बैंक ने कहा है कि आईआईएफएल की फाइनेंसियल कंडीशन जानने के लिए 31 मार्च 2023 को जांच किया गया था. आरबीआई का कहना है कि कंपनी गोल्ड लोन पोर्टफोलियो में कुछ समानों पर गड़बड़ी पाई गई थी. इसमें लोन की मंजूरी और डिफॉल्ट के टाइम सोने मे मिलावट और शुद्ध वजन में कमी देखी गई.

रिजर्व बैंक का एक्शन

आपको बता दें कि रिजर्व बैंक के एक्शन के बाद से ही लगातार कंपनी के शेयर गिर रहे हैं. इसकी वजह से पिछले कुछ दिनों में शेयर के प्राइस में करीब 20 फिसदी की गिरावट देखी गई है. आपको बता दें कि केंद्रीय बैंक ने एनबीएफसी को शेयरों और डिबेंचर के लिए किसी भी प्रकार के फाइनेंस प्रोवाइड करने से रोक दिया था. इसमें स्टॉक के आईपीओ के लिए लोन की मंजूरी, बांटने और डिबेंचर की खरीद में शामिल थी.