'इकोनॉमिक ग्रोथ और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए हर जरूरी उपाय करेगा रिजर्व बैंक'

Coronavirus (Covid-19): भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की गत 24, 26 और 27 मार्च को हुई बैठक के ब्योरे में यह कहा गया है.

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Dhirendra Kumar
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Coronavirus (Covid-19): Reserve Bank( Photo Credit : फाइल फोटो)

Coronavirus (Covid-19): भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank) की नीतिगत समीक्षा बैठक के ब्योरे के मुताबिक कोविड-19 (Corona Virus) महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए चौतरफा उपायों की जरूरत है और रिजर्व बैंक (RBI) इस स्थिति को देखते हुये आर्थिक वृद्धि बहाल करने तथा वित्तीय स्थिरता बनाये रखने के लिए वह हर जरूरी उपाय करेगा जिसकी आवश्यकता होगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की गत 24, 26 और 27 मार्च को हुई बैठक के ब्योरे में यह कहा गया है. यह बैठक मूल रूप से 31 मार्च, एक और तीन अप्रैल को होनी थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के चलते इसे तय समय से कुछ दिन पहले ही कर लिया गया.

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पिछले एक पखवाड़े में बिगड़ी आर्थिक स्थिति

संशोधित कार्यक्रम के मुताबिक 27 मार्च को समाप्त हुई तीन दिवसीय बैठक के बाद आरबीआई (RBI) ने प्रमुख नीतिगत दर ‘रेपो’ में 0.75 प्रतिशत की कटौती कर इसे 4.40 प्रतिशत और रिवर्स रेपो दर को 0.90 प्रतिशत घटाकर 4 प्रतिशत पर ला दिया गया. रिजर्व बैंक द्वारा इस बैठक के सोमवार को जारी ब्योरे के अनुसार दास ने कहा कि वैश्विक वृहद आर्थिक स्थिति पिछले एक पखवाड़े में अचानक बिगड़ी है. उन्होंने कहा कि कई देशों के अधिकारियों और केंद्रीय बैंकों ने लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के कारण व्यापक आर्थिक गिरावट से निपटने के लिए लक्षित नीतिगत साधनों की विस्तृत श्रृंखला का इस्तेमाल किया है. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ रही है, जो पहले के वैश्विक वित्तीय संकट के मुकाबले अधिक गहरी हो सकती है. उन्होंने कहा कि भारत में भी अल्पकालीन अवधि के वृद्धि अनुमानों में तेजी से गिरावट आई है.

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शुरुआत में वैश्विक गिरावट और कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के चलते और इसके बाद सरकार द्वारा महामारी को रोकने के लिए घोषित देशव्यापी लॉकडाउन से यह स्थिति बनती दिख रही है. मुद्रास्फीति के बारे में दास ने कहा कि परिदृश्य में व्यापक बदलाव आया है. गवर्नर ने कहा कि अगर मांग की दशाओं के सामान्य होने में अधिक समय लगा तो आमतौर पर गर्मियों के महीनों में बढ़ने वाली मांग के कमजोर रहने के आसार हैं. सकल घरेलू मांग के कमजोर रहने से मुद्रास्फीति को रोकने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 एक न दिखने वाला हत्यारा है, जिसे मानव जीवन और व्यापक अर्थव्यवस्था पर कहर बरपाने ​​से पहले काबू में किए जाने की जरूरत है. दास ने कहा कि इस परिदृश्य में यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि वित्त, जो अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में निर्बाध रूप से बहता रहे. उन्होंने कहा कि ऐसे में रिजर्व बैंक सतर्क रहेगा और कोविड-19 के प्रभाव को कम करने, विकास को बहाल करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए किसी भी उपकरण, चाहें वह पारंपरिक हो या अपारंपरिक, का उपयोग करने में संकोच नहीं करेगा.

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