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RBI ने अब इस बैंक का लाइसेंस किया कैंसिल, ग्राहकों की जमा रकम का क्या होगा, जानें यहां

RBI के द्वारा किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल किए जाने की स्थिति में लिक्विडेशन के समय प्रत्येक जमाकर्ता को DICGC से 5 लाख रुपये तक की जमा राशि वापस मिल जाती है.

Updated on: 30 Jul 2021, 07:24 AM

highlights

  • लगभग 99 फीसदी जमाकर्ताओं को उनकी पूरी जमाराशि DICGC से मिल जाएगी
  • पिछले साल बैंकों में जमा राशि के इंश्योरेंस कवर को बढ़ाकर 5 लाख किया गया था

नई दिल्ली :

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने 27 जुलाई 2021 के आदेश के तहत दि मडगांव अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड (The Madgaum Urban Co-Operative Bank Limited), मडगांव, गोवा का लाइसेंस रद्द कर दिया है. परिणामस्वरूप, बैंक 29 जुलाई 2021 को कारोबार की समाप्ति से बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकता है। सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार, गोवा से भी अनुरोध किया गया है कि वे बैंक समापन करने और बैंक के लिए एक परिसमापक नियुक्त करने का आदेश जारी करें. रिजर्व बैंक की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक दि मडगांव अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के करीब 99 फीसदा जमाकर्ताओं को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) से पूरी जमा राशि वापस मिल जाएगी.

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बता दें कि RBI के द्वारा किसी बैंक का लाइसेंस कैंसिल किए जाने की स्थिति में लिक्विडेशन के समय प्रत्येक जमाकर्ता को DICGC से 5 लाख रुपये तक की जमा राशि वापस मिल जाती है. गौरतलब है कि पिछले साल सरकार ने बैंकों में जमा राशि के इंश्योरेंस कवर को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया था. 

इन वजहों से RBI ने कैंसिल किया लाइसेंस

बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और कमाई की संभावनाएं नहीं हैं. इसके अलावा यह बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 11(1) और धारा 22 (3) (डी) के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है. साथ ही बैंक, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 22(3) (ए), 22 (3) (बी), 22 (3) (सी), 22 (3) (डी) और 22 (3) (ई) की अपेक्षाओं का पालन करने में विफल रहा है और बैंक का जारी रखना उसके जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल है. रिजर्व बैंक का कहना है कि बैंक अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति के कारण अपने वर्तमान जमाकर्ताओं का पूर्ण भुगतान करने में असमर्थ होगा और अगर बैंक को अपने बैंकिंग कारोबार को जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो जनहित प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा. यही वजह है कि रिजर्व बैंक ने बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया है.

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रिजर्व बैंक का कहना है कि इसके लाइसेंस को रद्द करने के परिणामस्वरूप, दि मडगांव अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मडगांव, गोवा को तत्काल प्रभाव से बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 (बी) में परिभाषित 'बैंकिंग' कारोबार जिसमें जमाराशि को स्वीकार करना और जमाराशि की चुकौती शामिल है, करने से प्रतिबंधित किया गया है. लाइसेंस रद्द करने और परिसमापन की कार्यवाही शुरू होने के साथ, दि मडगांव अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, मडगांव, गोवा के जमाकर्ताओं के भुगतान की प्रक्रिया डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के अनुसार चलायी जाएगी. बैंक द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, लगभग 99 फीसदी जमाकर्ताओं को उनकी पूरी जमाराशि निक्षेप बीमा और प्रत्यय गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) से प्राप्त होगी. परिसमापन के बाद, प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत डीआईसीजीसी से 5,00,000 रुपये (पांच लाख रुपये मात्र) की मौद्रिक सीमा तक अपने जमाराशि के संबंध में जमा बीमा दावा राशि प्राप्त करने का हकदार होगा.