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पीएमसी बैंक (PMC Bank) मामले में आठवें अकाउंट होल्डर की मौत, कई लोगों की जा चुकी है जान

पीएमसी बैंक (PMC Bank) के एक और जमाकर्ता की मौत का मामला सामने आया है. मृतक के परिवारवालों ने मौत का कारण कथित तौर पर इलाज का खर्च नहीं उठा पाना बताया है.

Updated on: 05 Nov 2019, 10:36 AM

मुंबई:

सहकारी ऋणदाता पीएमसी बैंक (PMC Bank) के एक और जमाकर्ता की मौत का मामला सामने आया है. मृतक के परिवारवालों ने मौत का कारण कथित तौर पर इलाज का खर्च नहीं उठा पाना बताया है. मृतक के पोते क्रिस ने बताया कि 74 वर्षीय एंड्रयू लोबो का गुरुवार देर शाम ठाणे के पास काशेली में उनके घर पर निधन हो गया. एंड्रयू लोबो पीएमसी बैंक पर आरबीआई द्वारा नकदी निकासी की सीमा लगाए जाने के बाद से मारे जाने वाले आठवें जमाकर्ता हैं. आरबीआई (RBI) के इस फैसले के बाद 23 सितंबर को एक जमाकर्ता ने आत्महत्या कर ली थी.

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क्रिस ने बताया कि लोबो के बैंक खाते में 26 लाख से अधिक रुपये जमा थे. लोबो इस जमा राशि के ब्याज से अपना गुजारा करते थे. क्रिस ने कहा कि दो महीने पहले उनके फेफड़े में संक्रमण हो गया जिसके लिए उन्हें नियमित दवाओं और डॉक्टरों के इलाज की जरूरत थी. उनका पैसा बैंक में अटका हुआ था जिसके कारण उनकी चिकित्सा जरुरतें पूरी नहीं हो पायी.

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बॉम्बे हाईकोर्ट ने RBI से किया सवाल
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से यह जानने की कोशिश कि उसने घोटाले की मार झेल रहे पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक के जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए क्या कदम उठाए हैं. न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति आरआई छागला की खंडपीठ बैंक के जमाकर्ताओं की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इन याचिकाओं में आरबीआई (RBI) की निकासी सीमा को चुनौती दी गई है.

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आरबीआई ने पीएमसी बैंक (PMC Bank) में कथित वित्तीय अनियमितता सामने आने के बाद नकद निकासी समेत अन्य प्रतिबंध लगाए थे. सबसे पहले आरबीआई ने निकासी की सीमा छह महीने के लिए केवल 1000 रुपए तय की थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 10,000 रुपये और फिर बढ़ाकर 40,000 रुपये कर दिया गया था. पीठ ने सोमवार को कहा कि वह सिर्फ यह जानना चाहती है कि आरबीआई ने इस मामले में क्या किया है.

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अदालत ने कहा , 'आरबीआई को इस बैंक के सभी कामों की जानकारी है. आरबीआई बैंकों का बैंक है और इस तरह के मुद्दों के लिए विशेषज्ञ निकाय है. हम आरबीआई के काम में बाधा नहीं डालना चाहते और न ही उसके अधिकारों को कम करना चाहते हैं.' न्यायालय ने कहा कि इस तरह के वित्तीय मामलों में आरबीआई ही न्यायाधीश होगा, न कि अदालत.