केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार को बैंकिंग सेक्टर की ओर राहत भरी खबर मिल रही है. दरअसल, गैर-निष्पादित ऋण, विलंबित वसूली और कम ऋण वृद्धि की वजह से लगातार दो वर्ष से घाटे का सामना कर रहे बैंकिंग सेक्टर के लिए 2019-20 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) खुशखबरी लेकर आया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक पहली छमाही में बैंकिंग सेक्टर मुनाफे में आ गया है. बता दें कि 2017-18 में 94 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (scheduled commercial banks) ने एक साथ 23,397 करोड़ रुपये और 2018-19 में 32,438 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया था. इन बैंकों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSBS), पुराने निजी क्षेत्र के बैंक, नए निजी बैंक, बैंकिंग के पेमेंट और स्मॉल फाइनेंस बैंक जैसे नए मॉडल शामिल हैं. RBI ने भारत में बैंकिंग के रुझानों और प्रगति पर एक रिपोर्ट जारी की है.
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रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) की रिपोर्ट के मुताबिक सभी बैंकों की पहली छमाही के वित्तीय प्रदर्शन से पता चलता है कि वे सभी मुनाफा कमाने में कामयाब रहे हैं. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनौतियां अभी भी हैं. रिपोर्ट के मुताबिक कॉर्पोरेट जगत में तनाव पूरी तरह से कम नहीं हुआ है. बाजार में अभी भी आकस्मिक घटनाएं हो रही हैं. अच्छी खबर यह है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) को सरकार से पूंजी मिली है. 10 बड़े पीएसबी बनाने के लिए समेकन भी चल रहा है जो तेजी से निर्णय लेने में मदद करेगा और बहुमत की सरकार द्वारा बैंकों को बेहतर नियंत्रण देगा.
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बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता सुधरी, सितंबर तिमाही में फंसा कर्ज 9.1 प्रतिशत पर स्थिर: आरबीआई रिपोर्ट
रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के फंसे कर्ज को लेकर सख्ती का सकारात्मक असर दिखने लगा है. फंसे कर्ज की पहचान को लेकर प्रक्रिया पूरी होने के करीब पहुंचने के साथ बैंकों का सकल एनपीए (फंसा कर्ज) कर्ज अनुपात सितंबर 2019 को समाप्त तिमाही में 9.1 प्रतिशत पर स्थिर रहा. 2018-19 में भी इसी समय एनपीए का स्तर यही था. आरबीआई ने 2018-19 में बैंक प्रवृत्ति और प्रगति पर रिपोर्ट में कहा कि पूरे साल के आधार पर एनपीए के मोर्चे पर अच्छा सुधार दिखता है. जहां 2017-18 में एनपीए अनुपात 11.2 प्रतिशत था, वह 2018-19 में घटकर 9.1 प्रतिशत पर आ गया.
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सभी वाणिज्यिक बैंकों की शुद्ध गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां 2018-19 में पिछले साल के मुकाबले लगभग आधा घटकर 3.7 प्रतिशत पर आ गयीं जबकि इससे पूर्व वित्त वर्ष में यह अनुपात 6 प्रतिशत था. यह बैंक प्रणाली की स्थिति में सुधार को प्रतिबिंबित करता है. आरबीआई रिपोर्ट के अनुसार कि सभी बैंकों का सकल एनपीए अनुपात 2018-19 में घटा है, जबकि इससे पहले लगातार सात साल इसमें वृद्धि हुई थी. फंसे कर्ज को चिन्हित करने की प्रक्रिया पूरी होने के करीब पहुंचने के साथ इसमें कमी आयी है. एनपीए अनुपात आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में 9.1 प्रतिशत पर स्थिर रहा.
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रिपोर्ट के अनुसार सकल एनपीए और शुद्ध एनपीए अनुपात में गिरावट के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता सुधरी है. कर्ज लौटाने में चूक के अनुपात में कमी के साथ सकल एनपीए (जीएनपीए) में कमी से जीएनपीए अनुपात में सुधार आया है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 2018-19 में सुधरकर 11.6 प्रतिशत पर आ गया जो 2017-18 में 14.6 प्रतिशत था. वहीं शुद्ध एनपीए इस दौरान 8 प्रतिशत से घटकर 4.8 प्रतिशत पर आ गया. रिपोर्ट के अनुसार निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए इस दौरान बढ़ा है. (इनपुट भाषा)
Source : News Nation Bureau