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मोदी सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए इन 2 कानूनों में कर सकती है संशोधन

बैंकिंग कंपनीज (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट 1970 (Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970) और बैंकिंग कंपनीज (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1980 में संशोधन हो सकता है.

Updated on: 17 Feb 2021, 01:37 PM

highlights

  • सरकार इस साल सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दो कानूनों में कर सकती है संशोधन 
  • दो बैंक का निजीकरण वित्त वर्ष 2021-22 में हो सकता है. 5 से 6 महीने में बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है 

नई दिल्ली:

केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार इस साल सरकारी बैंकों के निजीकरण (PSU Banks Privatisation) की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दो कानूनों में संशोधन कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनीज (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट, 1980 और बैंकिंग कंपनीज (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) एक्ट 1970 (Banking Companies (Acquisition and Transfer of Undertakings) Act, 1970) में संशोधन कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार मॉनसून सत्र में दोनों कानून में संशोधन का प्रस्ताव ला सकती है. बता दें कि सरकार विधायी कार्यों का ऐलान पहले कर चुकी है और दोनों कानून में संशोधन का प्रस्ताव संसद के मॉनसून सत्र में आ सकता है.

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इन चार सरकारी बैंकों का हो सकता है निजीकरण
बता दें कि 38 विधेयक (Bills) के ऊपर बजट सत्र में चर्चा के लिए प्रस्ताव दिया गया है. इनमें नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट बिल (NaBFID Bill), फाइनेंस बिल 2021, सप्लीमेंटरी डिमांड फॉर ग्रांट्स 2021, क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021 (Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill) आदि शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोदी सरकार ने जिन चार सरकारी बैंकों का निजीकरण करना है उसे शॉर्टलिस्ट कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये चार बैंक हैं बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India-BOI), इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India).

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सबसे पहले मिड साइज बैंकों का हो सकता है निजीकरण
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इन चार में से दो बैंक का निजीकरण अगले वित्त वर्ष यानि 2021-22 में हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले 5 से 6 महीने में बैंकों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार सबसे पहले मिड साइज के बैंकों का निजीकरण कर सकती है. बता दें कि मौजूदा समय में बैंक ऑफ इंडिया (BOI) में तकरीबन 50 हजार कर्मचारी और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में करीब 33 हजार कर्मचारी काम कर रहे हैं. बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 13,000 कर्मचारी और इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000 कार्यरत हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्मचारियों की संख्या सबसे कम होने की वजह से सरकार सबसे पहले बैंक ऑफ महाराष्ट्र के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर सकती है.