भारत के बैंकिंग सेक्टर पर आ सकती है बड़ी आफत, फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने जारी किया ये अनुमान
फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारतीय बैंकों को कम से कम 15 अरब डॉलर की नई पूंजी की जरूरत पड़ सकती है, ताकि वे एक मध्यम दर्जे के तनाव परिदृश्य के तहत अनुमानित औसत कॉमन इक्विटी टियर 1 अनुपात के 10 प्रतिशत को पूरा कर सकें.
मुंबई/सिंगापुर :
Coronavirus (Covid-19): रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने कहा है कि भारत का बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) से संबंधित व्यवधानों के कारण पूंजी की कमी का सामना कर सकता है. फिच रेटिंग्स के अनुसार, भारतीय बैंकों को कम से कम 15 अरब डॉलर की नई पूंजी की जरूरत पड़ सकती है, ताकि वे एक मध्यम दर्जे के तनाव परिदृश्य के तहत अनुमानित औसत कॉमन इक्विटी टियर 1 अनुपात के 10 प्रतिशत को पूरा कर सकें.
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पूंजी की जरूरत बढ़कर 58 अरब डॉलर हो सकती है: फिच
एजेंसी ने एक बयान में कहा है कि यदि घरेलू अर्थव्यवस्था कोरोनावायरस महामारी से संबंधित व्यवधानों से नहीं उबर पाती है तो ऐसी उच्च संकटपूर्ण स्थिति में पूंजी की जरूरत बढ़कर 58 अरब डॉलर हो सकती है. फिच ने कहा है कि सरकारी बैंकों को बल्क में पुनर्पूजीकरण की जरूरत होगी, क्योंकि सरकारी बैंकों में पूंजी क्षरण का जोखिम निजी बैंकों की तुलना में काफी अधिक है. फिच रेटिंग्स को उम्मीद है कि अधिकांश पुनर्पूजीकरण की जरूरत वित्त वर्ष 2022 के दौरान होगी, क्योंकि 180 दिनों के एक नियामकीय स्थगन के कारण बुरे ऋण की पहचान करने का काम आगे सरक गया है.
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विश्व बैंक छोटे उद्यमों को 75 करोड़ डालर का समर्थन देगा, सरकार के एमएसएमई पैकेज की प्रशंसा की
विश्वबैंक ने कहा कि वह कोविड- 19 से प्रभावित 15 करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) की मदद के लिए भारत को 75 करोड़ डालर का बजट समर्थन देगा. विश्व बैंक के भारत में निदेशक जुनैद अहमद ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत एमएसएमई को समर्थन के लिये भारत सरकार के 3.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की सराहना करते हुये कहा कि रिजर्व बैंक ने भी बाजार में बैंकों अथवा भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) सहित विभिन्न साधनों के जरिये बाजार में तलरता बढ़ाने के उपाय किये हैं। विश्व बैंक की तरफ से 75 करोड़ डालर का यह समर्थन इससे पहले सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये घोषित 2 अरब डालर के वित्तपोषण के अतिरिक्त है.
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इसके साथ ही कोविड- 19 के दौरान विश्व बैंक से भारत को तीन महीने में कुल 2.75 अरब डालर का कर्ज उपलब्ध कराया गया है. एमएसएमई के लिये दी जाने वाली यह वित्तीय सहायता बहुपक्षीय वित्त संस्थान की विकास नीति रिण के तहत दी जा रही है. यह भारत सरकार को सीधे बजट समर्थन के तौर पर दी जायेगी. अहमद ने कहा कि विकास नीति रिण के तहत हम किसी खास व्यय के लिये धन नहीं देते हैं. जब सरकार कोई ऐसी नीतिगत रूपरेखा तैयार कर देती है, जिसे हम समझते हैं कि समर्थन मिलना चाहिये तब ऐसे में हम सीधे बजट समर्थन उपलब्ध कराते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार ने जो कदमउठाये हैं उनसे एमएसएमई के लिये नकदी उपलब्ध होगी, एनबीएफसी और लघु वित्त बैंक मजबूत होंगे और वित्तपोषण तक सभी की समावेशी पहुंच सुनिश्चित होगी.
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सरकार ने मई में एमएसएमई क्षेत्र के लिये 3.70 लाख करोड़ रुपये का समर्थन पैकेज घोषित किया. इसमें छोटे व्यवसायों को तीन लाख करोड़ रुपये का गारंटी मुक्त कर्ज देने की घोषणा भी शामिल है। वित्त वर्ष 2020 (जुलाई 2019 से जून 2020) के दौरान विश्व बैंक ने भारत को 5.13 अरब डालर का कर्ज उपलब्ध कराया. यह पिछले एक दशक में उससे भारत को मिली सबसे अधिक वार्षिक रिण सहायता है. इसमें कोविड- 19 महामारी के तीन माह के भीतर उपलब्ध करायी गयी 2.75 अरब डालर की रिण सहायता शामिल है. अहमद ने कहा कि विश्व बैंक के एमएसएमई सहायता कार्यक्रम के अगले चरण में बैंक एमएसएमई मंत्रालय और राज्यों के साथ मिलकर काम करेगा और इसमें समूह स्तर पर क्षमता विकास पर ध्यान दिया जायेगा. विश्वबैंक के वक्तव्य में कहा गया है कि विश्व बैंक के कार्यकारी निदेशकों के बोर्ड ने कोविड- 19 संकट के दौरान बुरी तरह से प्रभावित एमएसएमई के हाथों में वित्त प्रवाह बढ़ाने के लिये एमएसएमई आपात प्रतिक्रिया कार्यक्रम के तहत 75 करोड़ डालर के समर्थन देने को मंजूरी दी है. (इनपुट एजेंसी)
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