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सरकार का 2 करोड़ रुपये तक के छोटे कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लेने का फैसला, अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को

RBI ने ये मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट कर्ज का भुगतान नहीं करने वाले सभी खातों को NPA घोषित करने पर लगाई रोक को हटा लें. रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसका बैंकिंग व्यवस्था पर बहुत खराब असर पड़ रहा है.

Updated on: 10 Oct 2020, 12:15 PM

नई दिल्ली:

लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल हलफनामे में रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि सरकार 2 करोड़ रुपये तक के छोटे कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज नहीं लेने का फैसला ले चुकी है. आरबीआई ने कहा कि बाकी अलग-अलग सेक्टर के लोन री-स्ट्रक्चरिंग पर केवी कामथ कमिटी ने सिफारिशें दी हैं. अब मामला बैंक और कर्जदार पर छोड़ देना चाहिए. कोविड के दौरान दिया गया मोरेटोरियम रियल एस्टेट सेक्टर समेत कुछ क्षेत्रों कक सभी समस्याओं का हल नहीं हो सकता. 

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13 अक्टूबर को होगी अगली सुनवाई
रिजर्व बैंक ने कहा कि ये सेक्टर कोरोना वायरस महामारी के आने से पहले ही तंगी से जूझ रहे थे. RBI ने ये मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट कर्ज का भुगतान नहीं करने वाले सभी खातों को NPA घोषित करने पर लगाई रोक को हटा लें. रिजर्व बैंक ने कहा है कि इसका बैंकिंग व्यवस्था पर बहुत खराब असर पड़ रहा है. सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर 2020 को अगली सुनवाई करेगा.

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बता दें कि 5 अक्टूबर को हुई सुनवाई में Loan Moratorium मामले पर Supreme Court रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हलफनामे में सभी सेक्टर की बात नहीं की गई है. कोर्ट ने कहा था कि कामत कमेटी की सिफारिशों का क्या हुआ, इसकी भी जानकारी नहीं है, जबकि वो पब्लिक डोमेन में होना चाहिए. कोर्ट ने 1 हफ्ते के अंदर सरकार और RBI को जवाब दाखिल करने को कहा था. सुनवाई के दौरान रियल एस्टेट डेवलपर्स ने भी सरकार के हलफनामे पर एतराज जताते हुए कहा था कि सरकार ने रियल एस्टेट सेक्टर के लिए कुछ नहीं किया है. हलफनामे में सरकार ने सिर्फ 2 करोड़ तक के कर्ज पर चक्रवृद्धि ब्याज में रियायत की बात कही है.