वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बोलीं- कृषि क्षेत्र के लिए ऋण के प्रवाह पर बराबर नजर रख रही सरकार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को कहा कि सरकार बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को दिए जा रहे ऋणों की स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए है.
नई दिल्ली:
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने शनिवार को कहा कि सरकार बैंकों द्वारा कृषि क्षेत्र को दिए जा रहे ऋणों की स्थिति पर बराबर नजर रखे हुए है. उन्होंने उम्मीद जताई है कि अगले वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र के लिए 15 लाख करोड़ रुपये के ऋण का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा. सरकार ने 2020-21 के आम बजट में कृषि क्षेत्र के लिए ऋण वितरण का लक्ष्य 11 प्रतिशत बढ़ाकर 15 लाख करोड़ रुपये रखा है. बजट में कृषि और संबंधित क्षेत्रों की विविध योजनाओं के लिए 1.6 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. वह यहां भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं.
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निर्मला सीतारमण ने कहा कि ऋण सीमा बढ़ा दी गई है. मुझे पूरा भरोसा है कि यह स्थानीय जरूरतों के हिसाब से तय की गई है. हमें मांग में वृद्धि की उम्मीद है और इसे पूरा करने के लिए ऋण की जरूरत भी बढ़ेगी. मैं वास्तव में बैंकों की निगरानी कर रही हूं और खासकर ग्रामीण क्षेत्र के लिए ऋण सुविधाओं के विस्तार पर मेरी बारीक नजर है. मुझे उम्मीद है कि हम इसे (लक्ष्य को) हासिल कर लेंगे. चालू वित्त वर्ष में कृषि क्षेत्र के लिए 13.5 लाख करोड़ रुपये के ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है. सामान्यत: कृषि ऋण पर बैंक नौ प्रतिशत का वार्षिक ब्याज रखते हैं, लेकिन सरकार इस पर दो प्रतिशत की ब्याज सहायता किसानों को देती है. यह सहायता तीन लाख रुपये तक के लघु अवधि के ऋणों पर दी जाती है.
#WATCH Live from Delhi: FM Sitharaman addresses media on post-Budget meeting with RBI Central Board of Directors https://t.co/1OckNStIZD
— ANI (@ANI) February 15, 2020
इस तरह कृषि ऋण पर प्रभावी ब्याज दर सात प्रतिशत वार्षिक बनती है. बड़े पैमाने पर सरकारी बैंकों के एकीकरण के प्रस्ताव से जुड़े सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल की बैठक में शनिवार को इस विषय पर कोई चर्चा नहीं हुई है. साथ में उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर पीछे हटने का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इससे पीछे हटने का कोई कारण है और ना ही ऐसी कोई वजह है जिसके चलते किसी अधिसूचना में कोई देर हो. जब भी कोई बात होगी, उसकी जानकारी आप तक पहुंच जाएगी.’’
पिछले साल अगस्त में सरकार ने 10 अलग-अलग सरकारी बैंकों का आपस में विलय करके चार बड़े बैंक बनाने का निर्णय किया था. इसके तहत यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पंजाब नेशनल बैंक में मिलाया जाना है. इसके अलावा सिंडिकेट बैंक को केनरा बैंक के साथ, इलाहाबाद बैंक को इंडियन बैंक के साथ और आंध्रा बैंक एवं कॉरपोरेशन बैंक को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ मिलाया जाना है.
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इससे पहले अप्रैल 2019 में सरकार बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय कर चुकी है. वहीं, अप्रैल 2017 में भारतीय स्टेट बैंक में उसके पांच सहयोगी बैंक स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और भारतीय महिला बैंक का विलय कर दिया गया था.
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