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फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) कराने से पहले जान लीजिए ये नए नियम, नहीं तो होगा बड़ा नुकसान

RBI ने बैंकों में Fixed Deposit-FD की समयसीमा पूरी होने के बाद बगैर दावे वाली राशि पर मिलने वाले ब्याज के नियमों में बदलाव कर दिया है.

Updated on: 06 Sep 2021, 12:56 PM

highlights

  • सभी वाणिज्यिक बैंकों, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों के FD पर लागू होगा नया नियम
  • फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की मैच्‍योरिटी के बाद दावे वाली राशि पर मिलने वाले ब्‍याज की समीक्षा की गई 

नई दिल्ली :

फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit-FD): अगर आप फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या टर्म डिपॉजिट (Term Deposit) करवाने की योजना बना रहे हैं तो आपके लिए एक बड़ी खबर है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) ने फिक्स्ड डिपॉजिट या टर्म डिपॉजिट (Term Deposit) के नियमों में अहम बदलाव कर दिया है. RBI ने बैंकों में Fixed Deposit की समयसीमा पूरी होने के बाद बगैर दावे वाली राशि पर मिलने वाले ब्याज के नियमों में बदलाव कर दिया है. RBI का नया नियम सभी वाणिज्यिक बैंकों, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर लागू होगा. 

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मैच्‍योरिटी के बाद दावे वाली राशि पर मिलने वाले ब्‍याज की हुई समीक्षा
आरबीआई ने नोटिफिकेशन में कहा है कि FD की मैच्‍योरिटी के बाद दावे वाली राशि पर मिलने वाले ब्‍याज की समीक्षा की गई है. समीक्षा के बाद यह फैसला लिया गया है कि अगर फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट की मैच्‍योरिटी के बाद रकम पर क्‍लेम नहीं होता है और वह रकम बैंकों के पास बगैर दावे वाली राशि के रूप में रहती है तो इस रकम पर ब्याज दर सेविंग्‍स अकाउंट के हिसाब से या मैच्‍योर्ड एफडी पर निर्धारित ब्‍याज दर जो भी कम होगी वह दी जाएगी. बता दें कि फिक्स्ड डिपॉजिट दरअसल, वह डिपॉजिट अमाउंट है जो बैंकों में एक निश्चित समय के लिए तय किए गए ब्याज पर जमा की जाती है. फिक्स्ड डिपॉजिट के तहत रिकरिंग, Cumulative, Reinvestment Deposit, एन्‍युटी और कैश सर्टिफिकेट जैसे डिपॉजिट शामिल हैं. 

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सुरक्षित निवेश का प्रमुख साधन है FD
बता दें कि फिक्स्ड डिपॉजिट को बैंकों और गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों यानि NBFC के द्वारा ऑफर किया जाने वाला सुरक्षित निवेश (Safe Investment) का एक प्रमुख साधन माना जाता है. निवेशकों को FD के जरिए सेविंग अकाउंट के मुकाबले अधिक रिटर्न मिलता है. फिक्स्ड डिपॉजिट में निश्चित अवधि के लिए एकमुश्त रकम जमा करके ब्याज के तौर पर रिटर्न (Bumper Return) हासिल किया जा सकता है. हालांकि आयकर अधिनियम 1961 के मुताबिक फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाले ब्याज के ऊपर टैक्स देना पड़ता है. एफडी की सबसे खास बात यह है कि इसमें पैसा निवेश करने के समय ही निवेशकों को पता चल जाता है कि उनका पैसा बढ़कर कितना होने जा रहा है.