3,600 करोड़ रुपये के बैंकिंग घोटाले का पर्दाफाश, CBI ने 13 जगहों पर मारे छापे
सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई बैंक ऑफ इंडिया के कानपुर क्षेत्रीय कार्यालय की शिकायत पर की गई.
दिल्ली:
सीबीआई (CBI) ने फ्रॉस्ट इंटरनेशनल और उसके निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. जांच इकाई ने मंगलवार को 13 स्थानों पर कंपनी के वर्तमान और पूर्व निदेशकों से जुड़ी परिसंपत्तियों पर छापा मारा. कंपनी और उसके निदेशक 14 बैंकों के समूह के साथ 3,592 करोड़ रुपये से अधिक की कथित धोखाधड़ी के मामले में सीबीआई की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि यह कार्रवाई बैंक ऑफ इंडिया के कानपुर क्षेत्रीय कार्यालय की शिकायत पर की गई.
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बैंक का आरोप है कि निदेशकों का कोई वास्तविक कारोबार नहीं है फिर भी उन्होंने कर्ज लेने के लिए व्यापारिक गतिविधियों की आड़ ली. इसे जनवरी 2018 के बाद किसी सरकारी बैंक के साथ की गयी सबसे बड़ी धोखाधड़ी माना जा रहा है. जनवरी 2018 में नीरव मोदी और मेहुल चौकसी का पंजाब नेशनल बैंक के साथ 13,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया था. बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर सीबीआई ने फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. बैंक ने कहा कि कंपनी ने ऋण भुगतान में जनवरी 2018 से देर करनी शुरू कर दी थी जो बाद में गैर-निष्पादित ऋण में तब्दील हो गया.
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11 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज
सीबीआई ने इस सिलसिले में कंपनी और उसके निदेशक उदय देसाई, सुजय देसाई और अन्य लोगों के परिसरों पर मंगलवार को छापा मारा. यह कार्रवाई मुंबई, दिल्ली और कानपुर में 13 स्थानों पर की गयी. कंपनी और इसके निदेशकों के अलावा 11 अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इसमें तीन कंपनियां कानपुर की आर. के. बिल्डर्स, ग्लोबिज एक्जिम प्राइवेट लिमिटेड और निर्माण प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.
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इन कंपनियों ने फ्रॉस्ट इंटरनेशनल के लिए कारपोरेट गारंटी दी थी. अधिकारियों ने कहा कि बैंक का आरोप है कि निदेशकों ने बैंक ऑफ इंडिया के अगुवाई वाले ऋणदाता बैंकों के समूह को भुगतान करने में चूक की है। उन्होंने कहा कि कंपनी और उसके निदेशकों, जमानतदारों और अन्य अज्ञात लोगों ने फर्जी दस्तावेज जमा किए और बैंक से ली गई पूंजी की हेराफेरी कर उसे दूसरी जगह भेज दिया. अधिकारियों ने कहा कि कंपनी और उसके निदेशकों ने बैंक समूह के साथ 3,592.48 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है.
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