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Alert! सरकारी बैंकों के विलय के खिलाफ 27 मार्च को हड़ताल, ग्राहकों को हो सकती है बड़ी परेशानी

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (All India Bank Employees Association-AIBEA) और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (ALL INDIA BANK OFFICERS ASSOCIATION-AIBOA) 27 मार्च को बैंकों के महाविलय के विरोध में हड़ताल पर जाएंगी.

Updated on: 06 Mar 2020, 11:42 AM

चेन्नई:

बैंकिंग क्षेत्र की दो प्रमुख यूनियनें अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (All India Bank Employees Association-AIBEA) और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (ALL INDIA BANK OFFICERS' ASSOCIATION-AIBOA) 27 मार्च को बैंकों के महाविलय के विरोध में हड़ताल (Bank Strike) पर जाएंगी. हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 बैंकों का विलय (PSU Banks Merger) कर चार बैंक बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है, जिसका बैंककर्मी विरोध कर रहे हैं. इससे पहले बैंक यूनियनों ने 11 मार्च से प्रस्तावित तीन दिवसीय हड़ताल को वापस ले लिया था और अब इस हड़ताल की तारीख 27 मार्च तय की है.

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बैड लोन की वजह से बैंकों को होती है समस्याएं

एआईबीईए के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा, "डूबने वाले ऋण (बैड लोन) की बड़ी संख्या के कारण बैंकों को खुद समस्याओं का सामना करना पड़ता है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष में 1,50,000 करोड़ रुपये का कुल सकल लाभ कमाया, लेकिन बैड लोन आदि के लिए कुल प्रावधान 216,000 रुपये का था. ऐसे में आखिर में बैंकों को 66,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. उन्होंने कहा, "क्या कोई विश्वास कर सकता है कि बैंकों के विलय से बड़े कॉर्पोरेट बैड लोन की वसूली होगी? जैसा कि हमने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) में विलय के बाद देखा है, एसबीआई में बैड लोन बढ़ गया है. ये बैंक भी अब इसी तरह का जोखिमों का सामना कर रहे हैं.

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इस महीने में विभिन्न विरोध प्रदर्शनों की योजना

वेंकटचलम के अनुसार, यूनियनों ने इस विलय के खिलाफ 27 मार्च की हड़ताल के साथ ही इस महीने में विभिन्न विरोध प्रदर्शनों की योजना बनाई है. उन्होंने कहा कि एसबीआई के विलय और पिछले साल बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय के बाद सरकार ने 10 बैंकों के विलय की घोषणा की है, जिसका सीधा सा मतलब है कि छह बैंक आंध्रा बैंक, इलाहाबाद बैंक, कॉर्पोरेशन बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, सिंडिकेट बैंक और युनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को बंद कर दिया जाएगा. वेंकटचलम ने कहा कि केवल 32.3 करोड़ जनसंख्या वाले संयुक्त राज्य अमेरिका में बैंकों की संख्या 1.35 अरब आबादी वाले भारत के बैंकों की तुलना में कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि भारत में बैंकों की संख्या अत्यधिक नहीं हुई है, इसलिए यहां एकीकरण की कोई आवश्यकता नहीं है.