रमजान के पाक महीने में मोहम्मद रफी ने दुनिया को कहा था अलविदा.. सुनिये उनके यादगार नगमे
उनकी अंतिम यात्रा में मुंबई में तेज बारिश होने बावजूद उस वक्त करीब 10 हजार लोग यात्रा में शरीक हुए थे।
मुंबई:
बॉलीवुड इंडस्ट्री के महान और सदाबहार गायक मोहम्मद रफी की आज 38वीं पुण्यतिथि है। 31 जुलाई 1980 में रमजान के पाक महीने में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। मगर उनके गीत और गजलें आज के युवाओं के दिल में अभी भी बसी हुई है। तीन दशक बीतने के बाद भी संगीत की दुनिया में उनकी कोई सानी नहीं है ।
रफी साहब का निधन तब हुआ जब वह रमजान के महीने में भूखे-प्यासे दुर्गा पूजा के लिए बांग्ला भजन का रिहर्सल कर रहे थे। पत्नी के मना करने के बावजूद अपने घर से किसी को खाली हाथ ना जाने देने की जिद में वह लगातार रियाज करते है। आखिर में उनकी आवाज खामोश हो गई।
उनकी अंतिम यात्रा में मुंबई में तेज बारिश होने बावजूद उस वक्त करीब 10 हजार लोग शरीक हुए थे। इससे साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह लोगों के बीच कितने लोकप्रिय थे।
पंजाब के एक गांव में 1924 को जन्में रफी ने संगीत की प्रेरणा फकीरों से ली थी। वह अपने गांव में फकीरो को गाते हुए सुना करते थे। मोहम्मद रफी ने न केवल हिंदी बल्कि कई भाषाओं असमी, कोंकणी, भोजपुरी, अंग्रेजी, तेलुगु, मैथिली और गुजराती भाषाओं में भी कई गाने गाए।
तुम मुझे भुला ना पाओगे- पगला कहीं का
ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं -इज्जत
इसे भी पढ़ें: 'सत्यमेव जयते' पर लगा शिया समुदाय की धार्मिक भावनाएं आहत करने का आरोप
क्या हुआ तेरा वादा- हम किसी से कम नहीं
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया-हम दोनों
अलग अलग दौर में अपने गाने की स्टाइल की विविधता के कारण उन्हें शहंशाह-ए-तरन्नुम भी कहा जाता था।
इसे भी पढ़ें: प्रियंका ने 'भारत' को किया ना, लेकिन इस हॉलीवुड फिल्म को कर लिया साइन
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Good Friday 2024: क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे, जानें प्रभु यीशु के बलिदान की कहानी
-
Sheetala Ashtami 2024: कब है 2024 में शीतला अष्टमी? जानें पूजा कि विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
-
Chaitra Navaratri 2024: भारत ही नहीं, दुनिया के इन देशों में भी है माता के शक्तिपीठ
-
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार देश का शासक कैसा होना चाहिए, जानें