Birthday Special : 'औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया'... महिला दिवस पर साहिर लुधियानवी की नज़्म
महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार को उन्होंने इस गाने में बयान किया है, पढ़िए और सुनिए उनकी मशहूर नज़्म लता मंगेशकर की आवाज में..
नई दिल्ली:
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) है और आज के ही दिन 1921 में मशहूर शायर साहिर लुधियानवी (Sahir Ludhianvi) का जन्म भी लुधियाना में हुआ था. उनके पिता बहुत धनी आदमी थे लेकिन उन्हें गरीबी में दिन गुजारने पड़े क्योंकि उनके माता-पिता का तलाक हो गया था और वे अपनी मां के पास रहे. साहिर लुधियानवी मुख्य रूप से एक ऐसे शायर के रूप में प्रसिद्ध थे, जो आम आदमी की रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी परेशानियों और उनके सब्र के इम्तिहान के बारे में लिखते थे. औरत के हक के पक्ष में भी साहिर ने अपनी कलम खूब चलाई. साहिर ने 'साधना (1958)' फिल्म में 'औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाजार दिया' गाना लिखा था, इस गाने को लता मंगेशकर ने गाया था. महिलाओं के साथ होने वाले व्यवहार को उन्होंने इस गाने में बयान किया है, पढ़िए और सुनिए उनकी मशहूर नज़्म लता मंगेशकर की आवाज में..
औरत ने जनम दिया मर्दों को, मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा कुचला मसला, जब जी चाहा दुत्कार दिया
तुलती है कहीं दीनारों में, बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है, ऐय्याशों के दरबारों में
साहिर की 5 मशहूर नज़्म
- मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया, हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया
- हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को, क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
- कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त, सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
- वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन, उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा
- अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं, तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
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