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रजनीकांत संघर्ष, सिनेमा और सियासत को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहे

बॉलीवुड में उन्होंने मेरी अदालत, जान जॉनी जनार्दन, भगवान दादा, दोस्ती दुश्मनी, इंसाफ कौन करेगा, असली नकली, हम, खून का कर्ज, क्रांतिकारी, अंधा कानून, चालबाज, इंसानियत का देवता जैसी हिंदी फिल्मों से एक खास मुकाम बनाया है।

Updated on: 31 Dec 2017, 01:38 PM

highlights

  • बॉलीवुड में उन्होंने मेरी अदालत, जान जॉनी जनार्दन, भगवान दादा, दोस्ती दुश्मनी, इंसाफ कौन करेगा, असली नकली जैसी हिंदी फिल्मों से एक खास मुकाम बनाया 
  • मीडिया रजनीकांत उनके संघर्ष, सिनेमा और सियासत में आने की खबरों को लेकर उनके फैंस भी खासा उत्साहित नजर आए

नई दिल्ली:

तमिलनाडु में सिनेमा जगत की हस्तियों के राजनीति में प्रवेश करने और एक मुकाम हासिल करने का पुराना इतिहास रहा है।

इस साल दक्षिण भारत के दिग्गज अभिनेता के राजनीति में पदार्पण करने की चर्चा जोरों पर रही। दरअसल, ये दिग्गज कोई और नहीं, बल्कि बॉलीवुड के थलाइवा हैं।

साल 2017 में सुपरस्टार रजनीकांत सिनेमा से लेकर सियासत तक सुर्खियों का हिस्सा बनें। आज वह 67 साल के हो गए हैं, लेकिन थलाइवा का जलवा पहले की तरह ही बरकरार है।

हाल ही में उनकी आगामी फिल्म '2.0' को लेकर सरगर्मियां तेज रहीं, जो अगले साल अप्रैल में रिलीज होगी।

अभिनय जगत में अलग मुकाम हासिल करने वाले रजनीकांत के मीडिया में उनके संघर्ष, सिनेमा और सियासत में आने की खबरों को लेकर उनके फैंस भी खासा उत्साहित नजर आए।

रजनीकांत के संघर्ष से सिनेमा तक के सफर को शायद ही उनके फैंस कभी भूल पाएं। रजनीकांत का संघर्ष अपने आप में काफी प्रेरणादायी है कि कैसे वह एक बढ़ई और बेंगलुरू परिवहन सेवा (बीटीएस) के एक मामूली बस कंडक्टर और कुली से सुपरस्टार बन गए। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत करना जारी रखा।

बॉलीवुड में उन्होंने मेरी अदालत, जान जॉनी जनार्दन, भगवान दादा, दोस्ती दुश्मनी, इंसाफ कौन करेगा, असली नकली, हम, खून का कर्ज, क्रांतिकारी, अंधा कानून, चालबाज, इंसानियत का देवता जैसी हिंदी फिल्मों से एक खास मुकाम बनाया है।

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वर्ष 2014 में रजनीकांत छह तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड्स से भी नवाजे गए, जिनमें से चार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और दो स्पेशल अवॉर्ड्स सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए मिले। साल 2000 में उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

इसके अलावा, 45वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (2014) में रजनीकांत को सेंटेनरी अवॉर्ड फॉर इंडियन फिल्म पर्सनेल्टिी ऑफ द ईयर से सम्मानित किया गया।

दरअसल, आज थलाइवा को जिस नाम से जाना जाता है, वह उनका असली नाम नहीं है। उनका असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है। उनके पिता रामोजी राव गायकवाड़ एक हवलदार थे।

मां जीजाबाई की मौत के बाद चार भाई-बहनों में सबसे छोटे रजनीकांत को अहसास हुआ कि घर की माली हालत ठीक नहीं है। बाद में उन्होंने परिवार को सहारा देने के लिए कुली का भी काम किया।

ऐसा पहली बार नहीं है, जब दक्षिण भारत से किसी अभिनेता के नेता बनने की बात सामने आई हो। सिनेमा और सियासत में गहरा रिश्ता होने के बावजूद वहां फिल्मी हस्तियों ने शायद ही राजनीति को पूरी तरह से प्रभावित किया हो।

यह सही है कि कुछ सिने अदाकारों ने राजनीति में खासी लोकप्रियता कमाई और अपना प्रभावशाली मुकाम बनाया, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं, जिनके हाथ केवल असफलता ही लगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी साउथ के कलाकार सिनेमा से सियासत की लंबी पारी खेल चुके हैं। इनमें सुपरस्टार एमजीआर ने सिनेमा की उंचाईयों को छूने के साथ ही दक्षिण भारत की राजनीति को एक नया आयाम दिया है।

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