logo-image

Flashback: बीआर चोपड़ा की फिल्म 'निकाह' का नाम पहले रखा गया था 'तलाक तलाक तलाक'

बीआर चोपड़ा की​ फिल्म की सबसे बड़ी खासियत फिल्म के झकझोर कर रख देने वाले डायलॉग्स, सांग्स और पाकिस्तानी एक्ट्रेस सलमा आगा थीं।

Updated on: 22 Aug 2017, 03:11 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट का आज यानी 22 अगस्त को तीन तलाक पर ऐ​तिहासिक फैसला आया है। इस फैसले का स्वागत करते हुए याचिकाकर्ता शायरा बानो काफी खुश नजर आई। वहीं कानून की इस लड़ाई में मुस्लिम महिलाओं की जीत हुई है।

ऐसे में बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'निगाह' का ज़िक्र नहीं किया जाए, तो बेमानी होगी। फिल्म तीन तलाक मुद्दे को लेकर बनाई गई है, जो मुस्लिम महिलाओं से जुड़े हर तथ्य को बखूबी दिखाने का प्रयास है। 

निर्माता-निर्देशक बीआर चोपड़ा (बलदेव राज चोपड़ा) की 35 साल पहले रिलीज हुई फिल्म 'निकाह-ए-हलाला' के गानें और डायलॉग्स आज भी हर शख्स के जहन ज़िंदा हैं।

सामाजिक मुद्दों, कानून के बारीक पहलुओं समेेत मुस्लिम समाज से जुड़े विषय को फिल्म 'निकाह-ए-हलाला' के जरिये रुपहले पर्दे पर उतारने के लिए बी आर चोपड़ा की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। उनके सिवा इंडस्ट्री में शायद ही कोई इसे दिखाने की हिम्मत जुटा पाता।

आप ये बात जानकर शायद शॉक्ड होंगे, लेकिन फिल्म का नाम पहले 'तलाक तलाक तलाक' था, लेकिन करोड़ों मुस्लिम मह‍िलाओं का तलाक न हो जाए, इस डर से बीआर चोपड़ा ने इस फिल्म का नाम बदलकर 'निकाह-ए-हलाला' कर दिया।

बीआर चोपड़ा की​ फिल्म की सबसे बड़ी खासियत फिल्म के झकझोर कर रख देने वाले डायलॉग्स, सांग्स और पाकिस्तानी एक्ट्रेस सलमा आगा थीं। इसमें म्यूजिक से लेकर कॉस्ट्यूम हर चीज पर विशेष ध्यान दिया गया था।

और पढ़ें: फराह खान ने चंकी पांडे की बेटी को कहा, अपना DNA टेस्ट कराओ​

साल 1982 में आई डायरेक्टर बी आर चोपड़ा की फिल्म को रिलीज हुए 35 साल पूरे हो गए हैं। अभिनेता राज बब्बर, सलमा आगा और दीपक पराशर के अभिनय से सजी फिल्म 'निगाह' के डायलॉग्स आज भी लोगों के जहन में ज़िदा हैं।

शरिया कानून पर आधारित फिल्म 'निकाह' में हैदर (राज बब्बर) और निलोफर (सलमा आगा) कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते हैं। हैदर एक जाना माना कवि है।फिल्म में राज बब्बर के शायराना अंदाज के मानो सभी कायल हो गए हों।

और पढ़ें: AAIDMK के गठजोड़ पर बोले कमल हासन, 'गांधी टोपी, कश्मीरी टोपी और अब जोकर टोपी'

राज बब्बर और सलमा आगा
राज बब्बर और सलमा आगा

राज बब्बर का डायलॉग, 'अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें.. जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।'

दीपक पराशर और सलमा आगा
दीपक पराशर और सलमा आगा

दीपक पराशर का रोमांटिक डायलॉग, 'आज तो बस मैं और तुम, तुम और मैं... दरम्यिां कुछ ना रहे, अगर रहे, तो प्यार रहे।'

राज बब्बर और सलमा आगा
राज बब्बर और सलमा आगा

राज बब्बर का रोमांटिक डायलॉग, जिन लबों को ये मुस्कराहट मिली है, उन लबों का... जिस हसीन चेहरे को ये लब मिले हैं, उस चेहरे का... जिस चेहरे को ये बदन मिला है, उस बदन का... जिस बदन को ये रूह मिली है, उस रूह का... दोनों आलम में कोई जवाब नहीं।

दीपक पराशर और सलमा आगा
दीपक पराशर और सलमा आगा

दीपक पराशर का शाहराना अंदाज, उनको आता है प्यार पे गुस्सा... हमको गुस्से पे प्यार आता है।
फिल्म के गाने अभी भी सबके फेवरेट हैं, जिन्हें रवि ने कंपोज किया था। फिल्म में सलमा आगा को बेस्ट फीमेल प्लेबैक अवॉर्ड मिला था। इसके साथ ही डॉक्टर अचला नागर को बेस्ट स्टोरी के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला था।