बर्थडे स्पेशल: 'उड़न परी' पी टी उषा ने भारतीय एथलेटिक्स को दी थी नई 'उड़ान'

बर्थडे स्पेशल: 'उड़न परी' पी टी उषा ने भारतीय एथलेटिक्स को दी थी नई 'उड़ान'

बर्थडे स्पेशल: 'उड़न परी' पी टी उषा ने भारतीय एथलेटिक्स को दी थी नई 'उड़ान'

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IANS
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(190915) Kolkata: `55th National Open Athletics Championships 2015`

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 26 जून (आईएएनएस)। केरल के कुट्टाली गांव में 27 जून 1964 को जन्मीं पिलावुल्लाकांडी थेक्केपारंबिल उषा भारत की क्वीन ऑफ ट्रैक एंड फील्ड कहलाती हैं और मौजूदा समय में वह भारतीय ओलम्पिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष हैं।

पीटी उषा जब चौथी क्लास में थीं, तो उन्होंने स्कूल की एक दौड़ में हिस्सा लिया। पीटी उषा ने इसमें स्कूल के चैंपियन को हरा दिया, जो उनसे तीन साल सीनियर था।

स्कूल के टीचर नन्ही पीटी उषा की रफ्तार को देखकर हैरान थे। इस बच्ची के टैलेंट को पहचानते हुए उसे स्पोर्ट्स स्कूल के पहले बैच में जगह दिलाई गई, जिसे केरल सरकार ने स्थापित किया था।

पीटी उषा ने स्टेट और फिर नेशनल गेम्स में अपना जलवा बिखेरा। इसके बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और महज 16 साल की उम्र में ही ओलंपिक का हिस्सा बन गईं।

भारत की उड़नपरी पीटी उषा 1980 मॉस्को ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा थीं। इसके चार साल बाद 1984 एलए ओलंपिक में पीटी उषा ओलंपिक फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट भी बन गईं। पीटी उषा यहां 400 मीटर की बाधा दौड़ में चौथे स्थान पर रहीं। वह सिर्फ 0.01 सेकंड से ब्रॉन्ज मेडल चूक गईं।

1986 के सोल एशियन गेम्स में पीटी उषा ने चार गोल्ड जीते। यह पदक 400 मीटर बाधा दौड़, 400 मीटर की दौड़, 200 मीटर और 4x400 मीटर की दौड़ में आए। 100 मीटर की दौड़ में वह दूसरे पायदान पर रहीं।

इसके बाद पीटी उषा ने 1988 सोल ओलंपिक में हिस्सा लिया, लेकिन यहां भी अपने ओलंपिक पदक के सपने को पूरा नहीं कर सकीं।

साल 1990 में पीटी उषा ने संन्यास का ऐलान कर दिया। उन्होंने साल 1991 में वी श्रीनिवासन से शादी रचाई, जिसके बाद एक बार फिर उन्होंने ट्रैक पर वापसी कर ली।

पीटी उषा ने 1994 एशियन गेम्स के 4x400 मीटर रिले में सिल्वर जीता। पीटी उषा के करियर पर एक बार फिर से ब्रेक साल 1995 में तब लगा, जब उन्हें घुटने का ऑपरेशन करवाना पड़ गया, लेकिन इससे उबरकर उन्होंने 1998 एशियन चैंपियनशिप में चार मेडल अपने नाम किए।

फैंस को उम्मीद थी कि पीटी उषा 2000 सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लेंगी, लेकिन पीटी उषा को एक बार फिर घुटने की समस्या शुरू हो गई। आखिरकार साल 2000 में उन्हें अपने खेल करियर को अलविदा कहना ही पड़ा। उस समय तक पीटी उषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 103 मेडल जीत चुकी थीं।

पीटी उषा को अर्जुन अवॉर्ड और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

पीटी उषा साल 2022 में निर्विरोध भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष चुनी गईं। वह इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं।

--आईएएनएस

आरएसजी/आरआर

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