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बिहार में 'जंगलराज' रिटर्न, नहीं थम रहा हत्याओं का दौर, आज बेगूसराय में कारोबारी को मारी गोली

सुशासन बाबू के नाम से चर्चित नीतीश कुमार के राज अपराधी बेखौफ होकर दिन दहाड़े कारोबारियों की हत्याएं कर आराम से पुलिस की गिरफ्त से दूर निकल जाते हैं

Updated on: 05 Jan 2019, 06:21 PM

नई दिल्ली:

बिहार में इन दिनों हत्या का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. सुशासन बाबू के नाम से चर्चित नीतीश कुमार के राज अपराधी बेखौफ होकर दिन दहाड़े कारोबारियों की हत्याएं कर आराम से पुलिस की गिरफ्त से दूर निकल जाते हैं. ताजा मामला बेगूसराय का है जहां बदमाशों ने एक गल्ला व्यापारी की गोली मारकर हत्या कर दी. दिनदहाड़े हुई इस हत्या से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई और विरोध में तमाम कारोबारियों ने आज बाजार बंद रखने का फैसला किया.

7-8 की संख्या में आए अपराधियों ने पहले तो उनके गोदाम में काम कर रहे मजदूरों को बंधक बनाया और फिर कारोबारी को उन्हीं के घर में गोलियों से छलनी कर दिया. हत्या के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर मामले की जांच शुरू कर दी है. वहीं इस हत्या को लेकर स्थानीय लोगों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा भी नजर आ रहा है.

बिहार में कई शहरों में पिछले दो दिनों में अलग-अलग तरह से आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया गया है. बक्सर के राजपुर थाना क्षेत्र के एक युवक को अपराधियों ने दिनदहाड़े गोली मार दी. घटने के बाद से आरोपी फरार है. वहीं हाजीपुर के जन्दाहा थाना के रामपुर में बाइकसवार तीन अपराधियों ने स्वर्ण व्यवसायी पप्पू कुमार को गोली मारकर फरार हो गए.

पटना सिटी के खाजेकलां थाना क्षेत्र में पादरी की हवेली के पास टेम्पो चालक की गोली मारकर हत्या कर दी. साथ ही गोपालगंज में डीजे पर भोजपुरी गाना बजाने से मना करने पर संचालक पर फायरिंग कर दी. हालांकि गोली पैर में लगने से संचालक की जान बच गई.

बात करें मुजफ्फरपुर की तो यहां के अहियापुर में एक रिटायर्ड सैनिक की पीट पीटकर हत्या कर दी गई. बताया जा रहा शराब माफियाओं ने इस घटना को अंजाम दिया है. वहीं आरा में पुलिस कस्टडी में एक आरोपी की पीट- पीटकर हत्या कर दी गई. आरोपी की हत्या का पुलिस पर आरोप लगा है. बताया जा रहा है कि पिछले दिनों चार नकाबपोश वर्दीधारी इस मृतक को घर से ले गए थे.

बता दें कि बिहार में बढ़ते अपराध के ग्राफ के बाद विपक्षी पार्टियों ने नीतीश कुमार के सुशासन पर सवाल खड़े कर दिए है. दूसरी तरफ सरकार इन घटनाओं से परेशान है क्योंकि 1 जनवरी को 23 आईपीएस का तबादला हुआ मगर नतीजा कुछ खास नहीं रहा.

इन घटनाओं के बाद भी बिहार सरकार कानून व्यवस्था सर्वश्रेष्ठ होने का दावा कर रही है. लेकिन सच तो ये है कि इस सरकार का इकबाल अब सवालों के घेरे में है ,लोग अब डरने लगे हैं क्योंकि अपराधी बेखौफ हैं.