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नहीं थम रहा दिमागी बुखार का कहर, मुजफ्फरपुर में अब तक 100 मासूमों की मौत

मुजफ्फरपुर में रविवार रात तक मरने वाले बच्चों का आंकड़ा 93 था जो आज बढ़कर 100 पहुंच गया है

Updated on: 17 Jun 2019, 10:59 AM

नई दिल्ली:

बिहार के मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार (AES) का कहर जारी है. इस गंभीर बीमारी के चलते अब तक 100 बच्चों की मौत हो चुकी है जिसमें 83 बच्चों की मौत एसकेएससीएच अस्पताल में और 17 बच्चों की मौत केजरीवाल अस्पताल में हुई. जानकारी के मुताबिक अकेले मोतिहारी में इस बीमारी ने 11 बच्चों की जान ले ली है. मुजफ्फरपुर में रविवार रात तक मरने वाले बच्चों का आंकड़ा 93 था जो आज बढ़कर 100 पहुंच गया है.

इससे पहले सरकारी श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (एसकेएमसीएच) का दौरा करने के बाद हर्षवर्धन ने कहा, 'बीमारी की पहचान करने के लिए शोध होना चाहिए, जिसकी अभी भी पहचान नहीं है और इसके लिए मुजफ्फरपुर में शोध की सुविधा विकसित की जानी चाहिए.'

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केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के साथ हर्षवर्धन ने एसकेएमसीएच का दौरा किया था स्थिति की समीक्षा की थी. इस दौरान हर्षवर्धन ने कहा था कि बीमारी के प्रकोप को नियंत्रित करने के लिए चिकित्सा क्षेत्र की सभी शाखाओं को मिलकर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार, राज्य सरकार को एईएस के प्रकोप के बाद स्थिति को नियंत्रित करने में मदद कर रही है.

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उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार स्थिति को नियंत्रित करने उचित उपचार प्रदान करने और इसके लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा विकसित करने के लिए राज्य को वित्तीय मदद के साथ सभी संभव सहायता प्रदान करेगी.' उन्होंने कहा, 'यह स्तब्ध करने वाला व कष्टदायक है कि बच्चे मर रहे हैं. मैंने माता-पिता के दुख और दर्द को महसूस किया है. हर्षवर्धन ने कहा था कि गर्म मौसम के साथ उच्च आद्र्रता भी एईएस के प्रकोप के मुख्य कारणों में से एक है.

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उन्होंने कहा, 'मैंने एईएस प्रकोप पर डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों से चर्चा की है और व्यापक समीक्षा की है और उन्हें निर्देश दिया है कि इस तरह के हालात फिर दोहराए नहीं जाए.' रिपोर्ट्स के मुताबिक, शनिवार को बेगूसराय जिले में दो और पूर्वी चंपारण जिले में तीन बच्चों की मौत हो गई थी.

क्या है चमकी बुखाक के लक्षण ?

बता दें, इंसेफेलाइटिस (Encephalitis) को चमकी, जापानी बुखार भी कहते हैं. इस बीमारी के लक्षणों में गर्दन में जकड़न, कमजोरी, उल्टी होना, भूख कम लगना, सुस्त रहना, अतिसंवेदनशील होना शामिल है. वहीं छोटे बच्चों में इंसेफेलाइटिस को ऐसे पहचान कर सकते हैं- सिर में चित्ती का उभरना, दूध कम पीना, बहुत रोना और शरीर में जकड़न नजर आना. अगर ऐसे लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत अस्पताल में जाना चाहिए.

ऐसे करें इंसेफेलाइटिस से बचाव

इंसेफेलाइटिस से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं. जैसे की गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें, बच्चों को बारिश के मौसम में बेहतर खान-पान दें, मच्छरदानी या कीटनाशक दवा का उपयोग करें. मच्छरों से बचाव के लिए घर के आसपास पानी न जमा होने दें. बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं ताकि उनकी स्कीन ढकी रहे. इसके साथ ही आप इस बीमारी से बचने के लिए बच्चों को टीका भी लगवा सकते हैं.