नई दिल्ली, 21 जुलाई (आईएएनएस)। बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर भारत निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया। चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा दायर याचिका में लगाए गए आरोपों का खंडन किया। अब सुप्रीम कोर्ट में 28 जुलाई को इस मामले की सुनवाई होगी।
बिहार एसआईआर मामले में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया। ईसीआई ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर), कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), अन्य राजनीतिक दलों की ओर से दायर याचिका में लगाए गए आरोपों से इनकार किया। साथ ही चुनाव आयोग ने मीडिया के एक वर्ग में एसआईआर को लेकर चलाई जा रही भ्रामक खबरों पर भी सवाल उठाए।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि एसआईआर प्रक्रिया से मतदाताओं को कोई परेशानी नहीं है। कानून के मुताबिक प्रक्रिया पूरी होने के करीब है। आयोग ने कहा कि फर्जी मतदाताओं को वोटर लिस्ट से हटाना उसकी जिम्मेदारी है और वह संवैधानिक जिम्मेदारी को निभा रहा है।
जवाबी हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूछे गए हर सवाल का समुचित जवाब दिया गया है। चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 में प्रदत्त अधिकारों का हवाला देते हुए पूरी प्रक्रिया के सुसंगत और अधिकार क्षेत्र में किए जाने की दलील दी।
बता दें कि बिहार में अब तक 7,89,69,844 मतदाताओं में से 7,16,03,218 यानी 90.67 प्रतिशत गणना प्रपत्र प्राप्त हो चुके हैं। डिजिटल गणना प्रपत्र 7,08,59,670 या 89.73 प्रतिशत हैं। जहां 43,92,864 या 5.56 प्रतिशत मतदाता अपने पते पर नहीं मिले तो वहीं 16,55,407 या 2.1 प्रतिशत मृत वोटर पाए गए। अब तक स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं की संख्या 19,75,231 या 2.5 प्रतिशत है। एक से अधिक स्थानों पर नामांकित मतदाता 7,50,742 या 0.95 प्रतिशत हैं, जबकि अप्राप्त वोटर (जिन निर्वाचकों का पता नहीं चल पा रहा है) 11,484 यानी 0.01 प्रतिशत हैं। कुल सम्मिलित निर्वाचक 7,59,96,082 यानी 96.23 प्रतिशत हैं। अब सिर्फ 29,62,762 या 3.77 प्रतिशत मतदाताओं के गणना प्रपत्र प्राप्त होने शेष हैं।
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